पुल नहीं बनने से गई दो मासूमों की जान, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, सीएम को भेजा पत्र

प्रशांत त्यागी,राजसत्ता पोस्ट

सहारनपुर,26 जुलाई।देवबंद विधानसभा क्षेत्र के गांव बचीटी में पिछले 50 वर्षों से लंबित पुल निर्माण की मांग अब ग्रामीणों के आक्रोश में बदल चुकी है। हाल ही में बरसात के पानी में बहने से दो बच्चों की मौत के बाद गांव के स्कूली बच्चों और ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र भेजकर तत्काल पुल निर्माण की गुहार लगाई।

पिछले 50 साल से सिर्फ आश्वासन:

ग्रामीणों का कहना है कि अगर गांव से नन्हेड़ा टिपटान को जोड़ने वाला पुल होता तो बच्चों की जान बचाई जा सकती थी। बारिश के समय उत्तराखंड की ओर से आने वाला तेज पानी गांव को डूबा देता है, जिससे स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है और जान का खतरा बना रहता है।

ग्रामीणों ने बताया कि वे पिछले पांच दशकों से पुल और मार्ग निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी सरकार या जनप्रतिनिधि ने आज तक ध्यान नहीं दिया। कई बार इस बरसाती पानी में ग्रामीणों की जानें जा चुकी हैं, लेकिन प्रशासन मौन है।

चुनाव बहिष्कार की चेतावनी:

गांववासियों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि इस बार पुल का निर्माण नहीं कराया गया तो वे आगामी विधानसभा चुनावों का बहिष्कार करेंगे। बच्चों की मौत के बाद पूरे गांव में शोक और गुस्से का माहौल है।

सत्ता पक्ष से दूरी बनी चर्चा का विषय:

घटना के बाद विपक्षी दलों के कई नेता, जैसे पूर्व सांसद हाजी फजलुर रहमान, पूर्व मंत्री स्व. राजेंद्र सिंह राणा की पत्नी मीना राणा, पूर्व विधायक मनोज चौधरी, शशि बाला पुंडीर आदि पीड़ित परिवारों से मिल चुके हैं। लेकिन सत्ता पक्ष के किसी भी भाजपा नेता का गांव न पहुंचना चर्चा का विषय बना हुआ है। ग्रामीणों का आरोप है कि भाजपा धार्मिक भेदभाव के चलते परिवार से दूरी बना रही है।

काश पुल होता तो बच जाती जान”

हर ग्रामीण के दिल में यही पीड़ा है— “काश पुल होता तो बच्चों की जान बच जाती।” जिस स्थान पर बच्चे डूबे, वह जगह बहुत निचली है और वहां पानी की गहराई करीब 14 फुट थी। समय रहते पुल नहीं बना तो भविष्य में और भी दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहेगी।

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