भारतीय किसान-संघ परिसंघ (सिफ़ा) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की मीटिंग में महत्वपूर्ण सुझाव आए-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

भारतीय किसान-संघ परिसंघ (सिफ़ा) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की एक मीटिंग वाईडब्ल्यूसीए इंटरनेशनल गेस्ट हाउस नई दिल्ली में हुई,जिसमे पीजेंट के चेयरमैन व् भारतीय किसान-संघ परिसंघ (सिफ़ा) के चेयरमैन विपिन पटेल, वायस चेयरमैन अशोक बालियान,भाकियू (अ) के प्रवक्ता धर्मेन्द्र मलिक सहित देश के अनेकों किसान नेताओं ने भाग लिया।
भारतीय किसान-संघ परिसंघ (सिफ़ा) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की एक मीटिंग में अशोक बालियान ने कई तरह के सुझाव सामने रखे, जिनमें न्यूनतम समर्थन मूल्य(एमएसपी)में आयात से कृषि उपज का मूल्य गिरने से होने वाले नुकसान को जोड़ना, सभी मुख्य फसलों, मुख्य फल-सब्जी, दूध व शहद आदि को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में, न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से नीचे मूल्य जाने पर बाजार हस्तक्षेप योजना लागू करने, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य करने, प्राकृतिक आपदा से प्रभावित फसलों के नुकसान के आकलन के लिए केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित श्रेणियों में 0 से 15 व 16 से 32 प्रतिशत नुकसान की अलग-अलग श्रेणी बनाने, किसान क्रेडिट कार्ड योजना के अंतर्गत किसान को चार वर्ष तक केवल ब्याज जमा करने की सुविधा और पांचवे वर्ष में एक बार मूलधन व् ब्याज दोनों जमा करने की सुविधा देने, ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार के लिए कृषि आधारित उद्योग व लघु उद्योग की स्थापना के साथ इनके उत्पादों को उनकी बिक्री सहित संरक्षण देने, कृषि को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल किया जाये। और भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय कृषि सेवा का एक केंद्रीय कैडर बनाने, देश में मुख्य निर्यातक फसलों के निर्यात के किये भारतीय तंबाकू बोर्ड व कॉफ़ी बोर्ड की तरह अन्य फसलों के बोर्ड बनाने, कृषि कारोबार से जुड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों को किसान की फसल उपजाने, उसकी खरीद, सप्लाई चेन, प्रोसेसिंग और मार्केटिंग समेत कृषि की पूरी वैल्यू चेन में जोडने, भारत में कृषि क्षेत्र में सब्सिडी को डब्ल्यूटीओ मानकों के अनुकूल बढाने, कृषि विपणन में सुधार व पशु बीमा में बांझपन और थन खराब होने के नुकसान को शामिल करने के सुझाव थे।
भारतीय किसान-संघ परिसंघ (सिफ़ा) की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की मीटिंग में इन सुझावों पर व्यापक चर्चा हुई और सभी किसान नेताओं ने इस पर अपनी सहमती व्यक्त करने हुए मीटिंग में निर्णय हुआ कि इन सुझावों पर केन्द्रीय कृषि मंत्री से समय लेकर वार्ता की जाएगी।

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