बांग्लादेश में वर्तमान में हिन्दुओं के साथ हो रही हिंसा सन 1971 के पाक सेना के अत्याचार और व्यभिचार की याद दिला रही है-अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
बांग्लादेश में वर्तमान में हिन्दुओं के साथ हो रही हिंसा सन 1971 के पाक सेना के अत्याचार और व्यभिचार की याद दिला रही है। तब पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) पाकिस्तान से मुक्ति की लड़ाई लड़ रहा था। प्रधानमंत्री शेख हसीना के सरकारी आवास ‘गणबंधन’ में घुसकर दंगाईयों ने शेख हसीना के अंतर्वस्त्रों का जिस तरह से सार्वजनिक प्रदर्शन किया, ऐसे ही प्रदर्शन बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के समय पाकिस्तानी सेना किया करती थी।
आतंकी संगठन हमास के पक्ष में मुस्लिम संगठन भारत में सड़कों पर उतरे थे, तो निरीह हिंदुओं की हत्या पर क्यों चुप हैं? और सबसे हैरानी दुनिया के विभिन्न देशों में बने हिंदू संगठनों की खामोशी पर होती हैं। हिंदुओं पर हो रहे हमले और अत्याचार की घटनाओं के बाद भी भारत में विपक्षी राजनैतिक पार्टियाँ मुस्लिम वोट न खिसक जाये, इसलिए चुप है।
इंडी गठबंधन के किसी भी नेता ने यहां तक कि विपक्ष के नेता राहुल गांधी तक ने बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर एक शब्द बोला और सोशल मीडिया पर नही लिखा है। मुस्लिम तुष्टिकरण करने वाले दल और नेता हिंदुओं से जुड़े हर मुद्दे पर प्राय: चुप्पी साध लेते हैं।
इन नेताओं के आंसू गाजा में हो रहे हमलों और अत्याचार पर तो निकलते हैं, लेकिन बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे हमले और अत्याचार पर इनके मुंह से हमदर्दी के दो शब्द भी नहीं निकलते है। यही इनका दोगलापन और दोहरा व्यवहार है, जिसे ये गंगा जमुनी तहजीब और फर्जी सेक्युलरिज्म की आड़ में छुपाते हैं।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अपने पूर्वी पड़ोसी मित्र देश बांग्लादेश में उपद्रव और राजनीतिक अस्थिरता भारत के लिए नई चुनौती बन गया है। वहीं विपक्ष की मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति, हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी चिंता का गंभीर विषय है। देश की जनता को ऐसे राजनीतिक दलों और नेताओं को समर्थन और वोट देने से पहले ये विचार करना चाहिए कि ये नेता सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी हद तक गिर सकते हैं। बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार हो रहा है। और देश जो गलतियों से नहीं सीखता, उसे कीमत चुकानी पड़ती है।
बांग्लादेश में प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलटने के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने शनिवार दिनांक 10 अगस्त 2024 को सर्वोच्च न्यायालय को घेरकर मुख्य न्यायधीश को इस्ताफा देने को मजबूर किया है। बंगलादेश मवे भीड़तन्त्र की मनमानी जारी है। कभी हिंदुस्तान का हिस्सा ये देश बंटवारे के बाद पहले पाकिस्तानी, और फिर बांग्लादेशी हो गया था। जिस मुजीबुर्रहमान (शेख हसीना के पिता) की अगुवाई में बंगाली मुसलमानों ने पाकिस्तान से लड़कर बांग्लादेश बनाया था, प्रधानमंत्री शेख हसीना का तख्ता पलटने के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों ने ढाका में लगी उनकी मूर्ति को गिरा दिया था।
बांग्लादेश की आजादी में भारत की एक बड़ी भूमिका थी। सन 1971 में भारत के दखल के चलते ही बांग्लादेश का निर्माण हुआ था। बांग्लादेश बनने के कुछ समय बाद वहां एक सैन्य तख्तापलट में शेख हसीना के पिता व उस समय के राष्ट्रपति शेख मुजीब और उनके परिवार के कई सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। इस बार सेना ने सत्ता की बागडोर सीधे अपने हाथ में नहीं रखी।और अंतरिम सरकार के मुखिया के रूप में आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ मुहम्मद यूनुस ने शपथ ले ली है, लेकिन बंगलादेश में हिन्दुओं पर हमले व् भीड़ तन्त्र की हिंसक मनमानी जारी है।

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