अशोक बालियान
हमारी अमेरिका यात्रा का प्रारम्भ दिल्ली से 27 सितम्बर 2023 को हो रही है। हमारे दो प्रोग्राम वहां व्याख्यान देने के भी बने है, जिनमे एक व्याख्यान कृषि रिफार्म पर व दूसरा सनातन धर्म पर होंगे।हिंदू धर्म दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा धर्म है, जिसके दुनिया भर में एक अरब अनुयायी हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग तीन मिलियन हिन्दू धर्म को मानने वाले रहते हैं, जिनका राजनीति में भी काफी योगदान है। अमेरिका में 14 जून 2023 को पहला अमेरिकन हिंदू सम्मेलन यूएस कैपिटोल हिल में हुआ है। इस हिंदू सम्मेलन के संस्थापक और चेयरमैन रोमेश जापरा थे।
अमेरिका में 2 प्रतिशत लोग ही खेती करते है जबकि भारत में 60 प्रतिशत लोग खेती करते है।भारत में ज़मीन को पैतृक संपत्ति माना जाता है और यह पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में बंटती रहती है। नतीजतन भारत में एक खेत का औसत आकार बहुत छोटा है और आगे भी छोटा होता जायेगा।हमारे यहां एक खेत औसतन 2.5 हेक्टेयर का होता है जबकि अमेरिका में एक खेत का औसत आकार करीब 250 हेक्टेयर होता है।हमारे यहां के किसान जहां पारंपरिक रूप से खेती से जुड़े होते हैं, वहीं अमेरिका में अधिकतर किसान पढ़े-लिखे होते हैं। पढ़ाई-लिखाई पूरी करने के बाद वह कृषि विज्ञान की पूरी जानकारी लेते हैं, और फिर खेती को एक व्यवसाय के तौर पर शुरू करते हैं।
अमेरिका में किसान नियमित तौर पर अपने खेत की मिट्टी की जांच करवाता रहता है, ताकि सुनिश्चित कर सके कि उसके खेत की मिट्टी किस फसल के लिए अनुकूल है और उसकी उर्वरा शक्ति कितनी है। मौसम की जानकारी लेने के लिए वह सेटेलाइट तसवीरों की मदद भी लेते हैं। यही वजह है कि साल भर में वह अनेक फसलें उगा लेते हैं, जबकि भारतीय किसान के पास अमूमन यह सुविधा नहीं होती कि वह अपनी मिट्टी की जांच नियमित तौर पर करवा पाए।
भारतीय किसान प्रायः परंपरागत तरीके से खेती करता है जिसमें तकनीक का सीमित इस्तेमाल ही होता है, जबकि अमेरिका में कृषि पूंजी आधारित है और बड़ी और लेटेस्ट तकनीक का इस्तेमाल खेती के लिए किया जाता है।अमेरिकी किसान एक बड़े कॉर्पोरेट या संस्था की तरह काम करते हैंइसलिए ये बाज़ार से सीधा संबंध रखते हैं। ना सिर्फ वे अपनी उपज की फूड प्रोसेसिंग खुद कर लेते हैं, बल्कि बाज़ार में भी सीधे बेच कर फ़ायदा भी उठाते हैं। लेकिन हमारे यहां जो फ़ायदा किसान को मिलना चाहिए, वह अक्सर बिचोलिए ले जाते हैं, क्योंकि किसान सीधा बाज़ार से नहीं जुड़ा हुआ है।भारत में भी मोदी सरकार इसी तरह के कानून लायी थी, लेकिन कुछ किसान संगठनों से गुमराह होकर किसानों ने उन किसान हित के कानूनों का विरोध किया और फिर मोदी सरकार ने उनको वापिस ले लिया था।
भारत में चावल की प्रति हेक्टेयर उपज भारत में 3 टन है, तो अमेरिका में करीब 8 टन, मक्का की उपज भारत में प्रति हेक्टेयर करीब 2 टन है तो अमेरिका में यह 9 टन है. इसी तरह गेंहू की उपज में भी अमेरिका के किसान हम से बहुत आगे हैं। हम कुछ एनजीओ व किसान संगठनों से गुमराह होकर भारत में नए बीजों का विरोध करते है।
हमारा इस यात्रा में एक संग्रहालय जाने का भी प्रोग्राम है, जहाँ अंग्रेजों के अमेरिका में आने से पहले, यहाँ रहने वाले लोग, जिनको रेड इण्डियन्स कहा जाता है, उनके जीवन व सामाजिक व्यवस्था को बताने वाला संग्रहालय है।
