सहारनपुर। हर वर्ष 1 से 7 अगस्त के बीच विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य शिशु को माँ का दूध पिलाने के प्रति जागरूकता फैलाना है। इस अवसर पर प्रसिद्ध स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. नैना मिगलानी (एमबीबीएस, डीजीओ), भूतपूर्व अध्यक्ष – ऑब्स एण्ड गायनी सोसायटी, ने कहा कि माँ का दूध शिशु के लिए अमृत के समान होता है। इससे न केवल शिशु को संपूर्ण पोषण प्राप्त होता है, बल्कि यह रोगों से लड़ने की क्षमता भी बढ़ाता है।

डॉ. मिगलानी ने बताया कि सभी शिशुओं को जन्म के बाद शुरू के छह महीनों तक केवल माँ का दूध ही देना चाहिए। डिलीवरी के तुरंत बाद जो पीला गाढ़ा दूध निकलता है, उसे कोलोस्ट्रम कहते हैं, जिसमें विटामिन, खनिज और एंटीबॉडी प्रचुर मात्रा में होते हैं। नार्मल डिलीवरी के आधे घंटे के भीतर और सीजेरियन के 4–5 घंटे बाद तक शिशु को स्तनपान अवश्य कराना चाहिए।

उन्होंने बताया कि माँ का दूध शिशु के लिए एकदम स्वच्छ होता है, इसमें संक्रमण का कोई खतरा नहीं होता और यह हमेशा सही तापमान पर उपलब्ध होता है। इससे माँ को बोतल व निप्पल की सफाई की परेशानी और पाउडर दूध बनाने के झंझट से भी छुटकारा मिलता है। माँ का दूध एक तरह से प्राकृतिक गर्भनिरोधक की तरह भी काम करता है, क्योंकि केवल स्तनपान कराने वाली महिलाओं में मासिक धर्म नियमित नहीं होता, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।

स्तनपान कराने वाली माताओं में ब्रेस्ट कैंसर, ओवेरियन कैंसर, उच्च रक्तचाप, मधुमेह और रक्त कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हो जाता है। इससे महिलाओं में डिप्रेशन की संभावना भी घटती है और माँ-बच्चे के बीच भावनात्मक संबंध मजबूत होता है। गर्भावस्था के दौरान बढ़ा हुआ वजन भी स्तनपान से जल्द कम हो जाता है क्योंकि इससे प्रतिदिन 400–500 कैलोरी स्वतः बर्न होती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान निकलने वाले हार्मोन बच्चेदानी को पूर्व आकार में लाने में मदद करते हैं। माँ का दूध शिशु के मस्तिष्क विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। साथ ही, स्तनपान कराने वाली महिलाओं में मासिक धर्म न होने के कारण शरीर में आयरन की कमी नहीं होती।

डॉ. मिगलानी ने यह भी स्पष्ट किया कि माँ के शरीर में शिशु की जरूरत के अनुसार पर्याप्त मात्रा में दूध बनता है और जन्म के बाद छह माह तक बच्चे को ऊपर से किसी भी प्रकार का अन्य पेय या आहार देने की आवश्यकता नहीं होती।

उन्होंने अपील की कि सभी माताएं स्तनपान के प्रति जागरूक हों और नवजात शिशु को पहला अधिकार—माँ का दूध—हर हाल में अवश्य दें।

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