लखनऊ। पावर कारपोरेशन प्रबंधन की चली तो अबकी प्रदेशवासियों को महंगी बिजली का तगड़ा झटका लगेगा।
मौजूदा बिजली दरों से लगभग 9,206 करोड़ रुपये के घाटे को देखते हुए अब तक जहां औसतन 15 प्रतिशत तक बिजली महंगी होने का अनुमान लगाया गया था, वहीं वित्तीय संकट से जूझ रहे कारपोरेशन प्रबंधन को अब लगता है कि वास्तव में बिजली कंपनियों को तकरीबन 25 हजार करोड़ रुपये का घाटा होगा। ऐसे में घाटे की पूरी तरह से भरपाई के लिए विद्युत नियामक आयोग बिजली की दरों में 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी कर दे।
वैसे तो चालू वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए पावर कारपोरेशन द्वारा पूर्व में बिजली कंपनियों के दाखिल किए गए 1,13,923 करोड़ रुपये के एआरआर प्रस्ताव को नियामक आयोग ने नौ मई को ही स्वीकार कर लिया था, लेकिन बिजली दर निर्धारण संबंधी प्रक्रिया शुरू करने से पहले ही कारपोरेशन प्रबंधन ने नए सिरे से एआरआर दाखिल करने के लिए आयोग से सप्ताह भर की मोहलत मांग ली।
सूत्रों के अनुसार, सोमवार को प्रबंधन द्वारा बिजली कंपनियों का संशोधित एआरआर आयोग में दाखिल कर दिया जाएगा। गौर करने की बात यह है कि नए सिरे से तैयार किया गया एआरआर लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का होगा।
एआरआर को 9,206 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 25 हजार करोड़ रुपये पहुंचते हुए कारपोरेशन प्रबंधन अब आयोग से मांग करेगा कि बिजली की दरों को इतना बढ़ाया जाए ताकि उसके घाटे की पूरी तरह से भरपाई हो जाए।
दरअसल, अब तक बिजली कंपनियों के खर्चे और कमाई को देखते हुए निकलने वाले राजस्व गैप के आधार पर बिजली की दरों का निर्धारण होता रहा है, लेकिन कारपोरेशन प्रबंधन का कहना है कि वास्तव में शत-प्रतिशत बिजली के बिल की वसूली नहीं हो पाती है।
ऐसे में वास्तविक वसूली को आधार मानते हुए बिजली की दरों को अबकी आयोग तय करे। जानकारों का कहना है कि 80 प्रतिशत से भी कम बिजली के बिल की वसूली हो पा रही है इसलिए बिल की जितनी धनराशि की वसूली नहीं हो पा रही है, उसकी भरपाई भी दरें बढ़ाकर की जाए।
जानकारों के मुताबिक यदि आयोग ने कारपोरेशन की बात को मानते हुए बिजली की दर तय की तो बिजली की मौजूदा दरों में औसतन 25 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ोतरी करनी पड़ेगी।
गौरतलब है कि बिजली की मौजूदा दरें वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद से लागू हैं। लगभग छह वर्ष पहले औसतन 11.69 प्रतिशत बिजली की दरों में बढ़ोतरी की गई थी। पिछले वित्तीय वर्ष 2024-25 के एआरआर में बिजली कंपनियों ने वर्तमान बिजली दरों से 11,203 करोड़ रुपये का राजस्व गैप दिखाया था, लेकिन नियामक आयोग ने उपभोक्ताओं का ही 1944.72 करोड़ रुपये सरप्लस निकालते हुए लगातार पांचवें वर्ष बिजली की दरें न बढ़ाने संबंधी आदेश पिछले वर्ष 10 अक्टूबर को किया था।
"
""
""
""
""
"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *