हसनपुर/अमरोहा। पति का लिवर डैमेज होने पर पत्नी उनकी जान बचाने को अपना लिवर देने में भी नहीं हिचकी। एक माह पूर्व लिवर ट्रांसप्लांट कराया। लेकिन, फिर भी पत्नी अपना सुहाग नहीं बचा पाई। हम बात कर रहे हैं हसनपुर गैस एजेंसी के 43 वर्षीय प्रबंधक मनोज कुमार एडवोकेट की।

करीब एक वर्ष से वह लिवर की बीमारी से परेशान थे। हसनपुर से लेकर दिल्ली तक इलाज कराने के बावजूद भी स्वास्थ्य लाभ नहीं हुआ। चिकित्सकों ने स्वजन को उनका लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी। अपने सुहाग को बचाने के लिए पत्नी श्वेता रानी अपना लिवर देने को तैयार हो गई।

करीब एक महीना पहले दिल्ली के अस्पताल में उनका लिवर ट्रांसप्लांट किया गया। लेकिन, लंबे इलाज के बाद भी उनकी जान नहीं बच सकी। शनिवार रात 10:30 बजे दिल्ली के अस्पताल में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने अपने पीछे पत्नी श्वेता के अलावा दो बेटे भुवनेश 18 और नीतांशु 15 वर्ष को छोड़ा है। दिल्ली से ग्राम दीपपुर स्थित गैस गोदाम पर मनोज का शव पहुंचने पर लोगों की आंखें नम हो गई।

एक दशक में छह मृत्यु से टूटा गैस एजेंसी संचालक का परिवार

करीब एक दशक के अंतराल में चार बेटे, एक भाई और खुद की मृत्यु होने से गैस एजेंसी संचालक बीरबल सिंह का परिवार बुरी तरह टूट गया है। लेकिन, ईश्वर की नियति को कौन टाल सकता है। सबसे पहले 18 वर्षीय बेटे देवेश, उसके बाद 25 वर्षीय सुनील कुमार तथा फिर तीसरे बेटे भूपेंद्र सिंह 50 वर्ष की मृत्यु लिवर और पीलिया की बीमारी से हुई थी। इसके बाद उनके छोटे भाई नरेश कुमार की मृत्यु भी पीलिया में हुई।

तीन जवान बेटे और चौथे भाई की अर्थी को अपने हाथों से कंधा देने के कुछ समय बाद बीरबल सिंह भी दुनिया को अलविदा कह गए। उनकी मृत्यु को कुछ वर्ष ही बीते हैं कि चौथे बेटे मनोज कुमार एडवोकेट की भी लिवर की बीमारी से मृत्यु हो गई है। परिवार में छह मृत्यु होने से गैस एजेंसी संचालक का परिवार दुख सहते सहते बुरी तरह टूट चुका है। शहर के लोग भी इस परिवार में एक के बाद एक छह मृत्यु होने से हैरत में हैं।

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