वाराणसी। जिला उपभोक्ता विवाद (प्रतितोष) आयोग ने गिलट बाजार स्थित होटल विक्रम पैलेस को अपमानजनक व्यवहार व सेवा में कमी पर सात हजार रुपये का अर्थ दंड लगाया है। परिवादी दीपक गुप्ता की शिकायत पर आयोग ने होटल प्रबंधन को 5000 रुपये की क्षतिपूर्ति, 2000 रुपये वाद व्यय और 1750 रुपये की सदस्यता राशि वापस करने का आदेश दिया है। यह निर्णय अध्यक्ष सुरेंद्र कुमार सिंह और सदस्या सुमन दूबे की पीठ द्वारा सुनाया गया।
मामला शिवपुर के उसरपुरवा के दीपक गुप्ता ने 25 अगस्त 2022 को होटल विक्रम पैलेस का प्रिविलेज कार्ड (संख्या: अचवीपी-0291/22/23) 1750 रुपये में खरीदने से शुरू हुआ। कार्ड में एक वर्ष वैधता के साथ होटल में ठहरने, खाने-पीने पर छूट और एक मुफ्त रात ठहरने का आफर शामिल था।
परिवादी ने इस पर भरोसा करते हुए कार्ड अपने और परिवार के उपयोग के लिए खरीदा। वर्ष 2022 में 14 दिसंबर को दीपक गुप्ता अपनी पत्नी रमिता पाल के साथ आफर का लाभ लेने होटल पहुंचे। अपना और पत्नी का पहचान पत्र प्रस्तुत किया, लेकिन होटल प्रबंधन ने उनके दस्तावेज स्वीकारने से इन्कार कर दिए।
परिवादी ने इस पर भरोसा करते हुए कार्ड अपने और परिवार के उपयोग के लिए खरीदा। वर्ष 2022 में 14 दिसंबर को दीपक गुप्ता अपनी पत्नी रमिता पाल के साथ आफर का लाभ लेने होटल पहुंचे। अपना और पत्नी का पहचान पत्र प्रस्तुत किया, लेकिन होटल प्रबंधन ने उनके दस्तावेज स्वीकारने से इन्कार कर दिए।
आरोप है कि होटल कर्मियों ने परिवादी और उनकी पत्नी के साथ अभद्र व्यवहार किया और अपमानित करते हुए होटल से भगा दिया। घटना से आहत परिवादी ने उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत सेवा में कमी व अनुचित व्यापार व्यवहार मानते हुए आयोग में शिकायत दर्ज कराई।
परिवादी ने चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति, कार्ड की राशि 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वापसी और 5000 रुपये वाद व्यय की मांग की। आयोग ने होटल को नोटिस जारी किया, लेकिन प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते 21 जून, 2024 को एकपक्षीय कार्यवाही शुरू हुई। परिवादी के कार्ड की छायाप्रति समेत दस्तावेजों के आधार पर आयोग ने पाया कि होटल का व्यवहार अनुचित था और परिवादी को आफर का लाभ नहीं मिला।
आयोग ने आदेश में होटल को 30 दिन में 5000 रुपये क्षतिपूर्ति और 2000 रुपये वाद व्यय देने को कहा। एक माह के भीतर कार्ड वापस लेकर 1750 रुपये लौटाने का निर्देश दिया। इसकी अनदेखी करने पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पूरी राशि देने का आदेश दिया।
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परिवादी ने चार लाख रुपये की क्षतिपूर्ति, कार्ड की राशि 18 प्रतिशत ब्याज के साथ वापसी और 5000 रुपये वाद व्यय की मांग की। आयोग ने होटल को नोटिस जारी किया, लेकिन प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया। इसके चलते 21 जून, 2024 को एकपक्षीय कार्यवाही शुरू हुई। परिवादी के कार्ड की छायाप्रति समेत दस्तावेजों के आधार पर आयोग ने पाया कि होटल का व्यवहार अनुचित था और परिवादी को आफर का लाभ नहीं मिला।
आयोग ने आदेश में होटल को 30 दिन में 5000 रुपये क्षतिपूर्ति और 2000 रुपये वाद व्यय देने को कहा। एक माह के भीतर कार्ड वापस लेकर 1750 रुपये लौटाने का निर्देश दिया। इसकी अनदेखी करने पर छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ पूरी राशि देने का आदेश दिया।