फसल तबाह होते देखी तो आया विचार
अली बताते हैं कि पानी की कमी के कारण खेतों में तैयार फसल सूख जाती थी। जलस्तर काफी गहरा है। नलकूप लगाने का प्रयास किया, सफल नहीं हो पाए। वर्षा के दिनों में पहाड़ों की साइट से आने वाले पानी से फसल तबाह होती देखी। उनके मन में वर्षा के पानी को स्टोर करने का विचार आ गया।
फसल में समय पर पानी मिलने पर उनकी आमदनी बढ़ गई। ऊंची-नीची जमीन पर फसल व फलदार पेड़ लहलहाने लगे। फिर दूसरा वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाया। इसमें पांच लाख लीटर तक पानी स्टोर हो सकता है। अब वर्षभर जरूरत के मुताबिक कृषि कार्य के लिए पानी का उपयोग करते रहते हैं।
किसानों को करते हैं जागरूक
अहमद अली जिला परिषद के सदस्य हैं। वह किसानों को जल संरक्षण के लिए जागरूक करते हैं। वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के फायदे बताते हैं। एक बार खर्च करने के बाद सिंचाई पर हर बार खर्च करने की जरूरत है। किसान की आमदनी का पांचवां हिस्सा सिंचाई पर ही खर्च हो जाता है।
वन विभाग के दरोगा संजय का कहना है कि कांडी परियोजना के तहत यह प्रोजेक्ट लगा था। पहले यह कच्चा था। बाद में इसको पक्का किया गया है। सरपंच की जमीन पहाड़ियों के बीच में है। उन्होंने जमीन समतल कर खेती योग्य बनाई और बाद में सिंचाई का हल भी निकाल लिया।
ये फसल करते हैं तैयार
वर्षा के पानी से गेहूं, उड़द, सब्जी की फसल के अलावा बागवानी तैयार की हुई है। उनके बगीचे में आंवला, आम, नाशपत्ती, आड़ू, अमरूद, चीकू सहित अन्य फलदार पेड़ हैं। आम की कई तरह की वैरायटी है। बागवानी से अच्छी आमदनी हो रही है।