प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि स्पा में किसी महिला का ग्राहक होना या सहमति से यौन संबंध में लिप्त रहते पकड़े जाने से मानव तस्करी का अपराध साबित नहीं होता। कोर्ट ने कहा, धारा 370 भारतीय दंड संहिता में मानव तस्करी में शोषण के लिए भर्ती करना, परिवहन, स्थानांतरण या प्राप्त करना शामिल है। ये तथ्य याची के मामले में लागू नहीं होते।
इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने मानव तस्करी और अनैतिक देह व्यापार प्रतिषेध अधिनियम के तहत चल रहे आपराधिक मुकदमे की पूरी केस कार्रवाई रद कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने गौतमबुद्धनगर, नोएडा के सेक्टर 49 थाने में दर्ज प्राथमिकी में आरोपित विपुल कोहली की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
याचिका में आपराधिक केस रद करने की मांग की गई थी। पुलिस ने याची को 20 मई 2024 को स्पा सेंटर में छापा मारकर महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 370 एवं अनैतिक देह व्यापार प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 के अंतर्गत प्राथमिकी लिखी गई।
याचिका में आपराधिक केस रद करने की मांग की गई थी। पुलिस ने याची को 20 मई 2024 को स्पा सेंटर में छापा मारकर महिला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। उसके खिलाफ आइपीसी की धारा 370 एवं अनैतिक देह व्यापार प्रतिषेध अधिनियम की धारा 3, 4, 5, 6 के अंतर्गत प्राथमिकी लिखी गई।
पुलिस के चार्जशीट दायर करने पर एसीजेएम गौतमबुद्धनगर ने संज्ञान लेकर याची को समन जारी किया। समन और मुकदमे की कार्रवाई को हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। याचिका में कहा गया कि जो धाराएं लगाई गई हैं, उससे अपराध साबित नहीं होता।
आरोपित गैंग्सटर की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मुजफ्फरनगर के बुधना थाने में गैंग्सटर एक्ट में दर्ज एफआइआर के तहत आरोपित याची की पुलिस रिपोर्ट या अगली सुनवाई तक गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। साथ ही शिकायतकर्ता को नोटिस जारी कर राज्य सरकार सहित सभी विपक्षियों से छह सप्ताह में याचिका पर जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी तथा न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की खंडपीठ ने वजीर उर्फ वाली अहमद की याचिका पर दिया है। याची की ओर से अधिवक्ता अरविंद कुमार मिश्र व देवेन्द्र मिश्र ने बहस की।
इनका कहना है कि गोवध निरोधक कानून के तहत दर्ज दो मामलों में जमानत मिली है। इसके बाद बिना ठोस साक्ष्य के उसे गैंग्सटर एक्ट में फंसाया गया है। गैंग चार्ट तैयार करने में नियमों की अनदेखी की गई है। अधिकारियों की कोई संयुक्त बैठक नहीं की गई। प्रिंटेड प्रोफार्मा में आदेश पारित किया गया है, जो नियमों का खुला उल्लंघन है। कोर्ट ने याची को पुलिस विवेचना में सहयोग करने का निर्देश दिया है।
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