28 फरवरी की शाम को सूर्यास्त के बाद शनि, बुध, नेपच्यून, वीनस, यूरेनस, बृहस्पति और मंगल आकाश में संरेखित अवस्था में नजर आएंगे। जिनमें से बुध, शुक्र, बृहस्पति और मंगल को नग्न आंखों को आसानी से देखा जा सकेगा और यूरेनस व नेपच्यून देखने के लिए छोटी दूरबीन की मदद लेनी होगी। एक जोड़ी प्राप्त करें। शनि ग्रह को देख पाना आसान नहीं होगा। क्योंकि वह सूर्य के बेहद करीब होगा।
अगले एक दशक तक फिर नहीं देखने को मिलेगा ग्रहों का यह संयोग
बृहस्पति 2.3 मैग्नीट्यूट की चमक के साथ नजर आएगा। यह शुक्र के बाद दूसरा सबसे चमकीला ग्रह होगा। जिसकी पहचान आसान होगी। मेष राशि में यूरेनस 5.8 मैग्नीट्यूट की चमक लिए बेहद धुंधला होगा। जिसे दूरबीन से देखा जा सकेगा। इस क्रम में नेपच्यून 7.8 मैग्नीट्यूड के साथ होगा। इसे भी दूरबीन की सहायता से देखा जा सकेगा। बुध -1.3 और शुक्र -3.9 मैग्नीट्यूट चमक लिए नजर आएंगे। शनि ग्रह 0.6 मैग्नीयुट की चमक लिए होगा। यह सामान्य खगोलीय घटना है। मगर ग्रहों की चाल की गणना व दिशा को लेकर अध्ययन करने का अवसर विज्ञानियों के लिए होगा।
इस खगोलीय घटना का महत्व
डॉक्टर शशिभूषण पांडेय के अनुसार यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना खगोल विज्ञान के प्रति रूचि रखने वाले लोगों को अपनी ओर आकर्षित करेगी। विज्ञानियों को ग्रहों की गतिविधियों और उनके आपसी संबंधों का अध्ययन करने का अवसर प्रदान करेगी।
खगोल प्रेमियों के लिए आकाश में अद्वितीय दृश्य प्रस्तुत करेगी। जिसमें सात ग्रह एक ही समय में दिखाई देंगे। खगोलीय शिक्षा और जागरूकता को लेकर इस तरह घटनाओं का विशेष महत्व होता है, जो लोगों को खगोल विज्ञान के संदर्भ में जानने और समझने के लिए प्रेरित करेगी।

