नई दि‍ल्‍ली। संत प्रेमानंद महाराज अब रात में पदयात्रा करते हुए भक्तों को दर्शन नहीं देंगे। यह निर्णय उन्होंने पदयात्रा मार्ग पर पड़ने वाली कॉलोनी के लोगों को पदयात्रा के दौरान शोर-शराबा से होने वाली दिक्कत को देखते हुए लिया है। आइए जानते हैं क्‍या है पूरा मामला?
दरअसल, रात दो बजे संत प्रेमानंद महाराज का काफिला पदयात्रा करते हुए श्रीराधाकेलि कुंज के लिए निकलता है तो हजारों श्रद्धालु सड़क किनारे खड़े होकर उनके दर्शन करते हैं। रात में दिन जैसा उजाला और भजनों की धुन के साथ भक्तों द्वारा चलाए जाने वाले पटाखों की आवाज से रास्ते में पड़ने वाली कॉलोनियों में रहने वालो लोगों की नींद खराब होती थी।

‘कौन सी भक्ति, कौन सा दर्शन’

एनआरआई ग्रीन कॉलोनी के लोगों ने पदयात्रा का विरोध शुरू किया। यही नहीं, कॉलोनी की महिलाओं ने हाथ में तख्तियां लेकर संत प्रेमानंद की रात की पदयात्रा का विरोध क‍िया। तख्तियों में उन्होंने लिखा है, ‘कौन सी भक्ति कौन सा दर्शन, ये तो है केवल शक्ति प्रदर्शन।’

‘जोर-जोर की आवाज गूंजती है, पटाखे फोड़े जाते हैं’

विरोध कर रहीं महिलाओं ने कहा क‍ि पदयात्रा के दौरान जोर-जोर की आवाज गूंजती है, पटाखे फोड़े जाते हैं। बीमार बुजुर्गों को दिक्कत होती है। कई महिलाएं स्कूल में पढ़ाती हैं, रात में शोर होने से उनकी नींद खराब होती है और वे सुबह स्कूल नहीं जा पाती हैं।

अनिश्चितकाल के ल‍िए स्‍थगि‍त की गई पदयात्रा

संत प्रेमानंद की पदयात्रा को अनिश्चितकाल के ल‍िए स्‍थगि‍त कर द‍िया गया है। लोगों की समस्या को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। गुरुवार को उनके आश्रम की ओर से ऑफिशियल फेसबुक पेज भजन मार्ग और सोशल मीडिया के अन्य प्लेटफॉर्म पर पदयात्रा स्थगित करने की जानकारी साझा की गई है। यह पदयात्रा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई है।

इससे पहले आश्रम की ओर से आया था ये बयान

कालोनीवासियों के प्रदर्शन को लेकर आश्रम की ओर से कहना है कि पदयात्रा के दौरान जो भी भक्त सड़क किनारे खड़े होकर भजन-संकीर्तन करते हैं, उनका संत प्रेमानंद के अनुयायी या आश्रम से कोई लेना-देना नहीं है। कई बार तो मना करने के बाद भी लोग लाउडस्पीकर पर भजन गायन करते हैं। पदयात्रा में किसी तरह का ध्वनि प्रदर्शन नहीं करने की हमेशा से ही आश्रम द्वारा अपील की जाती रही है।

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