अयोध्या। मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र का उपचुनाव भले अधर में हो, पर इसके असर से इस क्षेत्र के बिजली उपभोक्ता मौज काट रहे हैं। अयोध्या मंडल में बिजली बिल की सर्वाधिक रकम जिले में ही बकाया है और इसमें अकेले मिल्कीपुर क्षेत्र के ही उपभोक्ता सबसे अधिक बकाएदार हैं, फिर भी पावर कारपोरेशन के अधिकारी उस क्षेत्र में जांच अभियान चलाने से बच रहे हैं। बताया जा रहा कि उप चुनाव होने तक मिल्कीपुर में जांच अभियान चलाने या सख्ती से वसूली पर अघोषित रूप से मुख्यालय से रोक लगी है।
मिल्कीपुर से गत विधानसभा चुनाव में विधायक चुने गए अवधेश प्रसाद के लोकसभा चुनाव में सांसद चुने जाने के बाद उनके इस्तीफा दे देने से यहां उप चुनाव होना है। यह उप चुनाव प्रदेश की अन्य सीटों के साथ ही हो जाता, पर हाई कोर्ट में याचिका लंबित होने के कारण निर्वाचन आयोग ने यहां चुनाव घोषित नहीं किया।
याचिका वापस लिए जाने को लेकर बीते दिनों हाई कोर्ट में सुनवाई होनी थी, परंतु यह नहीं हो सकी। इस कारण उप चुनाव को लेकर अभी भी संशय है। बावजूद इसके मिल्कीपुर क्षेत्र में कोई जांच अभियान चलाने से सरकारी विभागों के अधिकारी कतरा रहे हैं। इससे क्षेत्र के मतदाताओं की चांदी है। इसे ऊर्जा निगम के उदाहरण से सहज तरीके से समझा जा सकता है।
निगम का जिले में लगभग 30 अरब रुपये से अधिक का बिजली बिल बकाया है। इसमें घरेलू, वाणिज्यिक, औद्योगिक व सरकारी उपभोक्ता समाहित हैं। जिले में 25 अरब 63 करोड़ 90 लाख रुपये तो अकेले उन उपभोक्ताओं पर बकाया है, जिन्होंने कनेक्शन लेकर कभी बिल ही नहीं जमा किया। इसमें इकलौते मिल्कीपुर क्षेत्र यानी विद्युत वितरण खंड-तीन का सर्वाधिक बकाया है। यहां नेवर पेड 32 हजार 77 उपभोक्ताओं पर अकेले 23 अरब 40 करोड़ 31 लाख रुपये बकाया है।
बीते दिनों मुख्य अभियंता वितरण के आदेश पर अफसरों ने थोड़ी सख्ती की तो 2,369 उपभोक्ताओं ने केवल 66 लाख रुपये ही जमा किए हैं। इसमें 64 उपभोक्ताओं ने 51 लाख रुपये जमा करके स्थायी रूप से कनेक्शन कटवा लिया है। अभी भी मिल्कीपुर के 29 हजार 644 उपभोक्ता बकाएदार हैं।
इसके अलावा उन उपभोक्ताओं पर भी बड़ी धनराशि बकाया है, जो नियमित रूप से बिल जमा करते रहे हैं। इसके बावजूद न तो ऊर्जा निगम की विजिलेंस टीम ने इस क्षेत्र में कभी जांच की, न ही स्थानीय अधिकारियों ने। शिविरों में स्वैच्छिक रूप से जितना उपभोक्ता जमा कर दे रहे हैं, वही राजस्व विभाग को मिल रहा है।
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