उत्तर प्रदेश, के कानपुर में मोबाइल पर बात करना बैंक कैशियर को भारी पड़ गया. फोन पर बात करते हुए ट्रैक पार करते समय अचानक ट्रेन आ गई, जिसकी चपेट में आने से उनकी दर्दनाक मौत हो गई. हादसा इतना भयावह था कि ट्रेन उन्हें 300 मीटर दूर तक घसीटते ले गई, जिससे उनके चीथड़े उड़ गए. पहचान होना मुश्किल हो गया. कपड़ों से उनकी पहचान हो सकी. घटना की जानकारी मिलने पर परिवार में कोहराम मच गया. रेलवे पुलिस ने मृतक के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा.

मृतक कानपुर स्थित यूनियन बैंक के हेड कैशियर पद पर तैनात थे. घटना के मुताबिक, उनका मोबाइल फोन उनकी मौत का कारण बन गया. रेलवे क्रॉसिंग बंद होने के कारण स्कूटी खड़ी कर लघुशंका के लिए ट्रैक पार कर रहे हेड कैशियर के मोबाइल पर अचानक फोन आया. वह उसको उठाने में इतना व्यस्त हो गए कि उन्होंने वहां से गुजर रही ट्रेन की आहट तक नहीं सुनी, जिसके चलते वह ट्रेन की चपेट में आ गए.

ट्रेक पार करते समय आ गई कॉल

घटना शुक्रवार रात करीब 12 बजे की है. रावतपुर के राधा विहार निवासी मुकेश कनौजिया मांधना स्थित यूनियन बैंक में हेड कैशियर पद पर तैनात थे. उनके परिवार में पत्नी सौम्या के अलावा एक बेटी और मां हैं. मृतक के भाई अमित ने बताया कि शुक्रवार की शाम मुकेश अपने चाचा के घर गए हुए थे. देर रात वह वापस स्कूटी से घर लौट रहे थे. जब वह कानपुर यूनिवर्सिटी के पास दलहन क्रॉसिंग पर पहुंचे तो वहां ट्रेन आने की वजह से फाटक लगा हुआ था.

इसी दौरान उन्हें लघुशंका लगी और वह स्कूटी खड़ी कर रेलवे ट्रैक के दूसरी ओर लघुशंका के लिए जाने लगे. जैसे ही वह ट्रैक के नजदीक पहुंचे तभी उनके मोबाइल पर कॉल आ गई. वह जेब से मोबाइल निकाल बात करने लगे. बात करते-करते वह रेलवे ट्रैक पर आ गए तभी तेज गति से आ रही ट्रेन ने उन्हें रौंद दिया.

300 मीटर दूर तक घसीटते ले गए ट्रेन

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, ट्रेन की चपेट में आने से मुकेश करीब 300 मीटर दूर तक घसीटते चले गए. इस बीच उनके चीथड़े उड़ गए. हादसे के बाद रेलवे फाटक पर मौजूद केबिन मैन ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर उसकी शिनाख्त की. पुलिस ने घटना की जानकारी उनके परिजनों को दी. मौके पर पहुंचे परिजनों ने शव देखा तो उनके होश उड़ गए. उन्हें मुकेश की मौत पर यकीन नहीं हुआ. जब उन्हें मुकेश के कपड़े दिखाए गए तब जाकर परिजनों ने उनकी पहचान की.

मुकेश की मौत के बाद पूरा परिवार सदमे में है. परिजनों ने बताया कि उन्हें बैंक में नौकरी पिता की मौत के बाद मृतक आश्रित में मिली थी. उनका कहना है कि मुकेश मोबाइल इस्तेमाल बहुत करते थे. घर के लोग उन्हे अकसर टोका करते थे. लेकिन उनकी आदत नहीं छूटी.

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