लखनऊ बलरामपुर गार्डन में पुस्तक मेले के अन्तर्गत राबता फाउंडेशन तथा तहज़ीब-ए-अवध के तत्वावधान में एक कवि सम्मेलन एवं मुशायरा आयोजित किया गया, जिस में शहर के नामचीन शायरों और कवियों ने अपना कलाम पेश किया।
ठहरा कर मुजरिम फिर बरी करता है
बड़ी संजीदगी से वो मसख़री करता है
अमित हर्ष
शब्द लिख लिख के हर इक शख्स कवि बन गया है
कोई भी लेकिन कविता को पढ़ पाता नहीं
कविता मिश्रा
अपना हिस्सा निकाल लो आकर
खुद को नीलाम कर रहा हूँ मै
अहमद आफताब
इतने ग़म है फिर भी पागल नहीं हुआ
यानी के मेरा इश्क मुकम्मल नहीं हुआ.
अमीर फैसल
मेरे अहसास का मौसम ज़रा सा सर्द रहने दो।
दवाई से कहा मैने ज़रा सा दर्द रहने दो।।
-प्रभात यादव
लब पे हैं अंगार इसके हाथ में तलवार भी है,
मोह ऐसी चीज़ है की हारना चुप-चाप होगा,
प्रिंसी मिश्रा
चील कव्वे गिद्ध ही क्यों इस कदर बदनाम है
दोस्त ही कुछ कम नहीं है नोंच खाने के लिए
अतुल कुमार
उदासी से घिरा कमरा मेरा देखा नहीं जाता,
तेरी तस्वीर ही हमदम दी’वारों पर लगा दूं क्या,
डॉ. गोविंद यादव
मै चाहता हूँ आज ही सरकार बाँट दे
अब लड़कियों को मुफ्त मे तलवार बाँट दे
ज़हूर फ़ैज़ी बाराबंकवी
अमित हर्ष ने कवि सम्मेलन की सदारत की
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