हरीश गोयल
मुजफ्फरनगर।श्री श्यामा श्याम मंदिर में चल रही भागवत कथा के सातवे दिन कथावाचक श्री गोविंद बृजवासी जी ने भगवान श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का प्रसंग विस्तार से समझाया की यदि कोई व्यक्ति अन्य के हिस्से की वस्तु स्वयं रखता है उसको जीवन में भोगना पड़ता है उन्होंने बताया गुरु, ईश्वर और माता पिता के बाद मित्रता का रिश्ता बहुत महत्वपूर्ण होता है बचपन में श्री कृष्ण ओर सुदामा दोनो अवंतिका में ऋषि संदीपन के आश्रम में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे वे एक बार जंगल में लकड़ी इक्कठा करने गए ,गुरु माता के दिए चने सुदामा जी ने अकेले ही खा लिए थे जिसके कारण सुदामा जी के जीवन में गरीबी आई
गुरु आश्रम से विदा लेते वक्त श्री कृष्ण ने सुदामा से कहा! हे मित्र जब कभी आप किसी परेशानी में हो तब अपने मित्र को याद कर लेना,उसके बाद श्री कृष्ण पहले मथुरा रहे फिर द्वारिका में राजा बन गए,उधर सुदामा बच्चो को शिक्षा देकर और एक दिन में सिर्फ 5 घर से भिक्षा मांग कर अपने परिवार का पालन पोषण कर रहे थे उनकी गरीबी बढ़ती जा रही थी जब उनकी पत्नी सुशीला ने उनको समझा बुझा कर उनके मित्र श्री कृष्ण के पास जाने को कहा पहले तो सुदामा तैयार नही हुए ,पत्नी सुशीला के कहने पर श्री कृष्ण से मिलने चले गए ,जाते वक्त सुशीला ने पड़ोस से मांगकर कुछ चावल पोटली में बांध कर उनको दे दिए,जब सुदामा जी श्री कृष्ण के महल के द्वार पर पहुंचे तो वहां सब उनसे पूछने लगे यहां किस लिए आए हो
सुदामा जी ने उनको कहा कि श्री कृष्ण से जाकर बता दो उनका मित्र सुदामा आया है
सेवको ने महल में जाकर श्री कृष्ण को बताया की हे महाराज कोई व्यक्ति जो फटेहाल है एक फटी सी धोती पहने हुए है आया है वो अपना नाम सुदामा बता रहा है ये सुनते ही श्री कृष्ण नंगे पैर दौड़ पड़े उनको दौड़ते देख सभी अचंभित थे श्री कृष्ण ने महल के बाहर आकर सुदामा को गले लगा लिया,अंदर महल में ले जाकर अपने सिंहासन पर बैठाया
श्री कृष्ण ने उनके पैर धोकर उनका स्वागत किया,श्री कृष्ण ने अपने मित्र का सबसे परिचय करवाया,महारानी रुक्मणि समेत सभी रानियों ने उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया!
श्रीकृष्ण सुदामा की हालत देख सब समझ गए श्रीकृष्ण ने कहा आज भी तुम भाभी द्वारा मेरे लिए भेजे गए चावल मुझसे छिपा रहे हो श्री कृष्ण ने सुदामा से चावल की पोटली ले ली और उसमे से लगातार 2 मुट्ठी चावल खा लिए जब तीसरी मुट्ठी चावल खाने लगे तो महारानी रुक्मणि ने उनका हाथ पकड़ लिया और कहा हे भगवन आपने 2 लोक का स्वामी तो अपने मित्र को बना दिया है अब तीसरे लोक को अन्य प्राणियों के लिए तो रहने दो,
फिर सुदामा जी को उन्होंने कुछ नही बताया सुदामा अपने घर विदा हुए ,वे जब अपने गांव पहुंचे तो वहां सब कुछ बदल गया था
इस प्रकार श्री कृष्ण ओर गरीब दोस्त सुदामा की मित्रता पृथ्वी पर उदाहरण है भक्त गण कथा सुनकर जय जय कर करने लगे
आज की कथा के यजमान राकेश सिंघल,आशु सिंघल,सौरभ गुप्ता,नरेंद्र गुप्ता,नीरज सिंघल,गोपाल शर्मा, मा. चंद्रबीर रहे ,
हरीश गोयल ललित अग्रवाल प.जगमोहन भारद्वाज का सहयोग रहा।।