देहरादून। देश में वर्ष 2021 से 2023 के बीच वन एवं वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि दर्ज की गई है। भारतीय वन सर्वेक्षण की ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट-2023’ में यह बात सामने आई है। केंद्रीय पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने शनिवार को देहरादून में वन अनुसंधान संस्थान के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में यह रिपोर्ट जारी की।
रिपोर्ट में देश के 36 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों में से 16 में वन एवं वृक्ष आवरण घटने के बावजूद वर्ष 2021 में हुए आकलन की तुलना में इस बार वन एवं वृक्ष आवरण में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। जिन राज्यों में यह घटा है, उनमें मध्य प्रदेश, कर्नाटक, नागालैंड, बिहार, दिल्ली, उत्तराखंड समेत अन्य राज्य शामिल हैं।
देश में कुल वन व वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किलोमीटर आंका गया है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में वन व वृक्ष आवरण सबसे अधिक 683.62 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है, जबकि मध्य प्रदेश में इसमें 612.41 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि वनों के संरक्षण-संवर्द्धन के साथ ही अन्य विषयों पर नीतियां बनाने में यह रिपोर्ट मददगार साबित होगी।
देश में कुल वन व वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग किलोमीटर आंका गया है, जो कुल भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। छत्तीसगढ़ में वन व वृक्ष आवरण सबसे अधिक 683.62 वर्ग किलोमीटर बढ़ा है, जबकि मध्य प्रदेश में इसमें 612.41 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री यादव ने कहा कि वनों के संरक्षण-संवर्द्धन के साथ ही अन्य विषयों पर नीतियां बनाने में यह रिपोर्ट मददगार साबित होगी।
भारतीय वन सर्वेक्षण वर्ष 1987 से प्रत्येक दो वर्ष में भारत वन स्थिति रिपोर्ट जारी करता है। इस श्रृंखला की यह 18वीं रिपोर्ट है। इसमें वनावरण, वृक्ष आवरण, कच्छ वनस्पति आवरण, वृक्ष निधि, वनों में कार्बन स्टाक, जंगल की आग और कृषि वानिकी जैसे विषयों को समाहित किया गया है।
रिपोर्ट बताती है कि देश के 20 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने पिछले दो वर्षों में वन एवं वृक्ष आवरण बढ़ाने में बेहतर कार्य किया है। 16 राज्यों व केंद्र शासित प्रदेश, जहां वन व वृक्ष आवरण घटा है, उनके लिए विकास और जंगल में बेहतर सामंजस्य का संदेश भी देती है। वन आवरण वाला क्षेत्र, उसे कहा जाता है, जो वन के रूप में अधिसूचित है। जबकि वृक्ष आवरण में इससे बाहर के क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
जंगल की आग की चुनौती को रिपोर्ट में प्रमुखता से उकेरा गया है। इसके मुताबिक फायर सीजन में नवंबर 2023 से जून 2024 तक देशभर में 2,03544 फायर अलर्ट जारी हुए। यद्यपि, नवंबर 2021 से जून 2022 की तुलना में इसमें कमी आई है। तब 2,12,249 अलर्ट जारी हुए थे। बावजूद इसके चुनौती बरकरार है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि एनडीसी के लक्ष्य की प्राप्ति के दृष्टिगत भारत का कार्बन स्टाक 30.43 बिलियन टन कार्बन डाइआक्साइड के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में भारत पहले ही 2.29 बिलियन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है। वर्ष 2030 तक इसे 2.5 से 3.0 बिलियन टन करने का लक्ष्य है।
कृषि वानिकी को भी रिपोर्ट का अहम हिस्सा बनाया गया है। इसमें वर्ष 2013 से 2023 की तुलना करते हुए बताया गया है कि देशभर में किसान कृषि के साथ वानिकी के लिए भी प्रोत्साहित हुए हैं। इससे लकड़ी की जरूरत पूरी होने के साथ ही किसानों को आय हो रही है।
जंगल की आग की चुनौती को रिपोर्ट में प्रमुखता से उकेरा गया है। इसके मुताबिक फायर सीजन में नवंबर 2023 से जून 2024 तक देशभर में 2,03544 फायर अलर्ट जारी हुए। यद्यपि, नवंबर 2021 से जून 2022 की तुलना में इसमें कमी आई है। तब 2,12,249 अलर्ट जारी हुए थे। बावजूद इसके चुनौती बरकरार है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि एनडीसी के लक्ष्य की प्राप्ति के दृष्टिगत भारत का कार्बन स्टाक 30.43 बिलियन टन कार्बन डाइआक्साइड के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में भारत पहले ही 2.29 बिलियन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है। वर्ष 2030 तक इसे 2.5 से 3.0 बिलियन टन करने का लक्ष्य है।
कृषि वानिकी को भी रिपोर्ट का अहम हिस्सा बनाया गया है। इसमें वर्ष 2013 से 2023 की तुलना करते हुए बताया गया है कि देशभर में किसान कृषि के साथ वानिकी के लिए भी प्रोत्साहित हुए हैं। इससे लकड़ी की जरूरत पूरी होने के साथ ही किसानों को आय हो रही है।
यही नहीं, जंगलों को भी क्षति नहीं पहुंच रही। कृषि वानिकी के बेहतर सूचकांक को देखते हुए इसे और अधिक प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है। इस अवसर पर केंद्रीय राज्यमंत्री कीर्ति वर्द्धन सिंह, सचिव लीना नंदन, महानिदेशक वन व विशेष सचिव जितेंद्र कुमार, विशेष सचिव तन्मय कुमार, एडीजी एके मोहंती, भारतीय वन सर्वेक्षण के डीजी अनूप सिंह उपस्थित थे।
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रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- 8,27,357 वर्ग किमी है देश का कुल वन एवं वृक्ष आवरण।
- 7,15,343 वर्ग किमी वनावरण और 1,12,014 वर्ग किमी है वृक्ष आवरण।
- 6430 मिलियन घन मीटर आंकी गई है देश के वन एवं बाह्य वन वृक्षों की कुल निधि
- 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है कुल निधि में वर्ष 2021 के आकलन की तुलना में।
- 08 राज्यों व केंद्रशासित क्षेत्रों मिजोरम, लक्ष्यद्वीप, अंडमान व निकोबार, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा व मणिपुर में 75 प्रतिशत से अधिक वनावरण।
- 4992 वर्ग किलोमीटर आंका गया है कुल कच्छ वनस्पति आवरण।
- 1,54,670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित है देश में बांस धारित क्षेत्र का विस्तार।
- 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है बाह्य वन वृक्षों से औद्योगिक काष्ठ का वार्षिक उत्पादन।
- 7,185.5 मिलियन टन अनुमानित है देश के वनों में कुल कार्बन स्टाक, वर्ष 2021 के आकलन की तुलना में इसमें 81.5 मिलियन टन की वृद्धि।
- कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में वनावरण के प्रतिशत की दृष्टि से लक्ष्यद्वीप (91.33 प्रतिशत) पहले, मिजोरम (85.34 प्रतिशत) दूसरे व अंडमान व निकोबार (81.62 प्रतिशत) तीसरे स्थान पर हैं।
शीर्ष पांच राज्य, जिनमें बढ़ा वन एवं वृक्ष आवरण
राज्य |
क्षेत्रफल |
छत्तीसगढ़ | 683.62 |
उत्तर प्रदेश | 559.19 |
ओडिशा | 558.57 |
राजस्थान | 394.46 |
झारखंड | 286.96 |
इन राज्यों में घटा वनावरण व वृक्ष आवरण
- मध्य प्रदेश -612.41
- कर्नाटक -459.36
- नागालैंड -125.22
- बिहार -123.98
- त्रिपुरा -100.70
क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले शीर्ष तीन राज्य
- मध्य प्रदेश, 77,073
- अरुणाचल प्रदेश, 65,882
- छत्तीसगढ़, 55,812
क्षेत्रफल की दृष्टि से वन एवं वृक्ष आवरण वाले तीन शीर्ष राज्य
- मध्य प्रदेश, 85,724
- अरुणाचल प्रदेश, 67,083
- महाराष्ट्र, 65,383
वनावरण में अधिकतम वृद्धि वाले शीर्ष तीन राज्य
- मिजोरम, 242
- गुजरात, 180
- ओडिशा, 152
16 राज्य, जिनमें घटा वन व वृक्ष आवरण
आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असोम, बिहार, गोवा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, नागालैंड, तमिलनाडू, तेलंगाना, त्रिपुरा, अंडमान एवं निकोबार, लद्दाख, उत्तराखंड।