लेख-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

अभी हाल में ही एक समाचार के अनुसार मेरठ में आयोजित युवा संसद कार्यक्रम में राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ने युवाओं से संवाद करते हुए कहा इंडिया गठबंधन की सरकार बनते ही पहली कलम से ‘अग्निवीर योजना’ को खत्म कर दिया जाएगा। इससे पहले भी एक किसान संगठन के किसान नेताओं के साथ जाट बहुल्य इलाकों में घूम-घूम कर जयंत चौधरी ने आग्नवीर योजना का विरोध किया था और युवकों से अग्निवीर भर्ती का बायकॉट की अपील की थी।
देश में ‘अग्निवीर योजना’ के माध्यम से थल सेना, नौसेना और वायु सेना में प्रवेश करने वाले ‘अग्निवीर’ को अन्य सैनिकों और अधिकारियों की तरह प्रशिक्षित किया जा रहा है। चार साल का कार्यकाल पूरा होने पर अग्निवीरों के लिए उपलब्ध अवसरों के बारे में भी गलत धारणाएं फैलाई जा रही हैं। जबकि भारतीय सेना की भर्ती प्रक्रिया में आमूल-चूल बदलाव करने वाली इस योजना का मकसद युवाओं को सेना की ओर आकर्षित करना है। एक दुसरे समाचार के अनुसार सेना द्वारा आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि इस बार यानी 2024 की गणतंत्र दिवस परेड में नौसेना व वायुसेना के दस्तों में महिला अग्निवीर कर्तव्य पथ पर कदम ताल करेंगी।
‘अग्निवीर योजना’ का ख़ात्मा और महिला अग्निवीरों का गणतंत्र दिवस परेड में सहभागी बनना, दोनों विपरीत मानसिकता की खबरें हैं। पहला समाचार घोर नकारात्मक सोच से लबरेज़ है और दूसरा देश की नारी-शक्ति की राष्ट्ररक्षा में पुनर्स्थापना का प्रतीक है जो रानी लक्ष्मी बाई, रानी झलकारी बाई तथा रानी दुर्गावती के शौर्य से आज की महत्वाकांक्षी बालाओं को भारत के स्वार्णिम अतीत से जोड़ने वाला है।
अग्निवीर सदियों तक भारत को सैन्य रूप से अति सबल सुदृढ़ बनाये रखने की दूरगामी योजना है। इस योजना के अर्न्तगत देश के 773 जिलों में 50,000 युवक-युवतियों की भर्ती होती है। इनको सेना के सभी अंगों में सैन्य प्रशिक्षण तथा सुरक्षा व अस्त्र-शस्त्र चलाने की ट्रेनिंग के साथ-साथ आपातकाल से निपटने में दक्ष किया जा रहा है।और इनका मासिक वेतन 30,000 रुपये से 40,000 रुपये है। इनको चार वर्षों के बाद 10 लाख रुपये रिटायरिंग बेनिफिट भी मिलेगा। और 25 प्रतिशत अग्निवीर रिटेन कर लिए जायेंगे यानी वे सेना के स्थायी सैनिक होंगे। शेष 75 प्रतिशत अग्निवीर अर्द्धसैनिक बलों, औद्योगिक बल, पीएसी व पुलिस में प्राथमिकता से भर्ती हो सकते हैं। सभी अग्निवीरों को पब्लिक व प्राइवेट नौकरियों में भी वरीयता मिलेगी। जो आग्नवीर निजी उद्योग अथवा व्यावसाय आरंभ करना चाहेंगे, उनको बैंकिंग तथा वित्तीय संस्थाओं में प्राथमिकता तथा रियायतें मिलेंगी। कुल मिलाकर यह योजना रोजगार व देश की सुरक्षा की गारंटी से जुड़ी है।
अग्निवीर 4 साल में 18 से 20 लाख रुपया आराम से बचा लेंगे। इसका अर्थ यह हुआ कि एक अग्निवीर 21 या 22 वर्ष की आयु से पहले ही इतना पैसा अपने पास आप जोड़ कर रख सकते हैं, जो कि इनके भविष्य में काम आएगा। और यदि इनका मन व्यापार करने का भी होगा तो भी इस पैसे से ये व्यापार भी शुरू कर सकते हैं।
क्या जयन्त चौधरी को याद है कि जब 7 अक्तूबर, 2023 को आतंकवादी संगठन हमास ने इस्राइल पर हमला बोला था,तब 1400 इस्राइली नागरिकों की हत्या के साथ हमास के दरिंदों ने लाशों के बीच इस्राइली महिला सैनिकों की अस्मत लूटी थी, इस्राइली महिलाओं को नग्न कर बाइक पर घुमाया गया था और 240 स्त्री, पुरुषों, बच्चों का अपहरण कर सुरंगों में बन्दी बनाया गया था? ये सारे वीडियो दुनिया भर में वायरल हुए थे। तब जयन्त चौधरी की आखें तो बन्द नहीं होंगी? इस्राइल-हमास युद्ध भड़कते ही भारत आये इस्राइली पर्यटक (जिनमें महिलाएं भी थीं) तुरंत स्वदेश लौट गए थे, क्यूंकि उनके देश को युद्धकाल में इनकी जरूरत थी, और उन्होंने सैनिक का प्रशिक्षण भी लिया हुआ था।
राहुल गांधी, अखिलेश यादव, जयन्त चौधरी जैसे नेता अपने पुरखों की विरासत का लाभ तो उठाना चाहते हैं, लेकिन उनका रास्ता नकारात्मक है। राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी ‘अग्निवीर योजना’ पर आज भी युवाओं को भड़काने का कार्य कर रहे है जबकि अग्निवीर योजना समय और परिस्थतियों के अनुकूल है।
उत्तरप्रदेश में मायावती के इस्तीफे के बाद वर्ष 2003 में चौधरी अजित सिंह ने अपने 14 विधायकों का समर्थन मुलायम सिंह यादव को दे दिया था। और राष्ट्रीय लोकदल सरकार में शामिल हो गई थी।इस सरकार में नंबर दो पर चौधरी अजित सिंह की ख़ास रहीं एक महिला भी मंत्री बनी थी। कहा जाता है उस वक़्त राष्ट्रीय लोकदल व् उससे सम्बन्धित कोटे के मंत्रालयों में भी वही होता था, जो वह महिला मंत्री चाहती थीं। राष्ट्रीय लोकदल के सरकार में शामिल रहते हुए भी उस समय पुलिस भर्ती में जाटों की अवहेलना हुई थी ,इसके क्या कारण थे यह सब जानते है।
सामाजिक न्याय की राजनीति के उभार के बाद राजनेताओं का भ्रष्टाचार और ज्यादा फला-फूला। लालू यादव और शिबू सोरेन की सरकारें रहीं हो या फिर मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव और मायावती की या फिर हरियाणा में ओमप्रकाश चौटाला की रही हो। ये सरकार भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से बची नहीं है। ये घटनाएं बताती हैं कि आज इंडिया गठबंधन में शामिल जिन राजनेताओं पर सामाजिक न्याय व गरीबों के कल्याण की जवाबदेही थी, वे कदाचार का सहारा लेकर अपना घर भरने में लग जाते रहे हैं।
आप पार्टी के दो बड़े नेता तिहाड़ की रोटियां खा रहे हैं। इसी मामले में जांच एजेंसी दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को बार-बार समन भेजकर पूछताछ के लिए बुला रही है, लेकिन वो ईडी के सामने पेश होने की बजाय राजनीतिक ड्रामेबाजी और प्रपंचों में मगन हैं।
राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी भी इन्ही के साथ खड़े है। और जिस दल ने वर्ष 2013 में जाटों को कुचलने का कार्य किया था, उसके सहयोग से राज्यसभा में चले गये है। मेरठ में अंतरराष्ट्रीय जाट संसद का भी राष्ट्रीय लोकदल ने विरोध किया था। ताकि कोई अन्य जाट आगे न बढ़ सके।
वर्ष 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार के गठन के बाद से भ्रष्टाचार खासकर राजनीतिक भ्रष्टाचार पर कड़ी कार्रवाई की गई। इससे पूर्व राजनीतिक भ्रष्टाचार पर सभी दलों की आपसी समझ और सहमति दिखाई देती थी। इसलिए जब जांच एजेंसियां किसी विपक्षी दल के नेता के यहां छापेमारी करती हैं, तो एजेंसियों के दुरुपयोग और राजनीतिक प्रतिशोध जैसी बयानबाजी सुनाई देती है। इंडिया गठबंधन में शामिल राजनीतिक दलों की साफ-सुथरी राजनीति की घोषणाएं न सिर्फ दिखावटी, बल्कि पाखंड हैं।
इसी तरह चाहे कृषि कानून रहा हो और चाहे ‘अग्निवीर योजना’ रही हो, राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी युवाओं को भ्रमित करने और हर सकारात्मक कदम को नकारात्मक बताने में लगे रहते हैं। देश के युवाओं समझना चाहिए कि इंडिया गठबंधन में शामिल राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी सहित इन राजनीतिक दलों की नीति देश हित के बजाय अपने-अपने हित में है। और ये युवाओं को गुमराह करने में लगे हुए है।

फ़ोटो-अशोक बालियान

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