यही तो है दुनिया मेरी
किताबों का मेरा जहां,
इससे ही मिलती ऊर्जा
इससे ही मिलता ज्ञान ।
एकाकीपन आने ना दे
जीवन में यदि हो किताब,
इससे बढ़कर मित्र कहां
ढूंढ लो चाहे सारा जहां।
दुनिया में सबसे प्रिय मेरा
पुस्तक मेरी जान,
पुस्तक ही अभिमान मेरा
है मान और स्वाभिमान।।
हाथों में लेकर, ये लगता
सबसे बड़ी संपदा है,
सच में मेरे लिए ये पुस्तक
अहंम और अलहदा है।।
✍️आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
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