बैशाख के महीने में
तपती धूप, गर्मी,उमस
से परे…
गेहूं की बलिया
बीनते बच्चे,
बोरे में भरते,
भरने को पेट,
ईंट भट्टों पर
ईंट ढ़ोते मजदूर
मेहनत करने को
मजबूर!
दो जून के निवाले
कड़ी मेहनत,
करते मसक्कत
हम मजदूर!
एसी नहीं,
ना छांव छत का,
ना झूलता पंखा,
पसीने से तरबर
रोज़ी रोटी को
मजबूर
हम मजदूर!!
आर्यावर्ती सरोज “आर्या”
१/५/२०२३ – सोमवार
मजदूर दिवस पर विशेष
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