मुज़फ्फरनगर में ओवरलोड का आतंक: प्रशासन सोया, हादसे बोल रहे!
अनुज त्यागी
मुज़फ्फरनगर।
जिले में खनन और गन्ने से भरे ओवरलोड वाहनों का खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है। रोज़ाना सड़क पर दौड़ रहे ये ओवरलोड ट्रक, ट्रैक्टर-ट्राले मानों मौत को आमंत्रण दे रहे हों। ताज़ा मामला आज सुबह मुज़फ्फरनगर-बुढ़ाना रोड पर गांव तावली के पास सामने आया, जहां एक गन्ने से लदा ट्रैक्टर-ट्राला अनियंत्रित होकर खाई में जा पलटा।
शुक्र यह रहा कि ट्रैक्टर-ट्राला सड़क पर किसी वाहन पर नहीं गिरा और ना ही किसी से टकराया, वरना आज एक और बड़ा हादसा सुर्खियों में होता।
इससे पहले भी कई दर्दनाक घटनाएँ ओवरलोडिंग की लापरवाही का परिणाम बन चुकी हैं। दो दिन पहले सहारनपुर के गागलहेड़ी में खनन से भरा एक ओवरलोड डंपर कार पर गिर गया था, जिसमें एक ही परिवार के 7 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।
मुज़फ्फरनगर के रामराज क्षेत्र में भी गन्ने से भरा एक भारी-भरकम ट्रक कार पर उलट गया था, जिसमें दो लोगों की जान चली गई।
इन हादसों ने साफ कर दिया है कि जिले में ओवरलोड वाहनों पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी जिन विभागों की है, वही सबसे ज्यादा नाकाम साबित हो रहे हैं।
जिला प्रशासन कागज़ी कार्रवाई में सक्रिय और जमीनी स्तर पर असहाय दिखाई दे रहा है।
ट्रैफिक पुलिस का ध्यान शहर में ग्रामीण इलाकों से आने वाले बाइक सवारों पर चालान काटने में अधिक है, लेकिन ओवरलोड ट्रक और ट्राले उन्हें नज़र नहीं आते—क्योंकि शायद उनका वजन सिर्फ तौल-पट्टी पर भारी होता है, सड़क पर नहीं!
आरटीओ विभाग की निष्क्रियता भी खुलकर सामने है। ओवरलोडिंग रोकने की जिम्मेदारी संभालने वाला यह विभाग पूरी तरह नाकाम साबित हो चुका है। सड़क पर दौड़ रहे खतरनाक वाहनों को रोकने की बजाय ये वाहन सभी नियमों को धता बताकर रोज़ाना हजारों यात्रियों की जान खतरे में डाल रहे हैं।
वहीं, स्थानीय ट्रांसपोर्टरों ने राजसत्ता पोस्ट से बात करते हुए बताया है कि
“ओवरलोड वाहनों को सहारनपुर, शामली, मुज़फ्फरनगर और मेरठ में बाकायदा एंट्री मिलती है, इसी वजह से ये वाहन बिना रोकटोक दौड़ रहे हैं।”
इस बयान ने कई विभागों की पोल खोलकर रख दी है, और साफ कर दिया है कि ओवरलोडिंग सिर्फ हादसे नहीं करा रही, बल्कि एक सेटिंग-प्रणाली को भी उजागर कर रही है।
सवाल लाजमी है—
क्या प्रशासन किसी बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है?
क्या कार्रवाई सिर्फ बाइक सवारों के लिए ही है?
और क्या ओवरलोड वाहन पूरे सिस्टम पर सवालिया निशान नहीं लगा रहे?
जब तक कार्रवाई नहीं, तब तक हादसे ही सुर्खियां बनेंगे—और विभाग सिर्फ बयानबाज़ी करता रहेगा!

