मथुरा। बिना मान्यता व्यवसायिक कोर्स संचालित करने वाले 130 कॉलेजों के विरुद्ध एफआइआर दर्ज होने के बाद जांच में दायरे में अब वे 24 अधिकारी भी आ गए हैं, जो 2015-16 से 2019-20 तक मथुरा में तैनात रहे हैं। इनमें सात तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक सहित 24 तत्कालीन बीएसए, जिला समाज कल्याण अधिकारी, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी, दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी एवं कर्मचारी शामिल हैं। इससे अधिकारियों में खलबली मच गई।

आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन के विवेचक ने दर्ज कराया था मुकदमा

जिले में 2015-16 से 2019-20 तक हुए छात्रवृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति घोटाले की शिकायत बलदेव विधायक पूरन प्रकाश ने शासन में की थी। इसकी जांच आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन को सौंपी गई, जिसके संगठन के उपनिरीक्षक मोहम्मद शाकिर ने कानपुर में मथुरा के कुल 130 शिक्षण संस्थानों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था।

ये नाम हैं शामिल

इसमें तत्कालीन सात डीआइओस अरुण कुमार दुबे, भास्कर मिश्र, अशोक कुमार सिंह, मुकेश कुमार रायजादा, इंद्र प्रकाश सोलंकी, कृष्णपाल सिंह सोलंकी, डा. राजेंद्र सिंह, वरिष्ठ सहायक राजेश कुमार शर्मा, सहायक बीएसए राघुवेंद्र सिंह, समाज कल्याण अधिकारी करुणेश त्रिपाठी, उमा शंकर शर्मा, विनोद शंकर तिवारी, पूरन चंद शर्मा, राहुल कुमार सहायक विकास अधिकारी, नवीन मल्होत्रा कनिष्ठ सहायक, योगेश कुमार कनिष्ठ सहायक, वरिष्ठ सहायक गिरिराज शर्मा, महावीर सिंह, सहायक कनिष्ठ मान सिंह शर्मा, प्रधान सहायक श्रीओम शर्मा, जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी श्याम सुंदर इकनौरिया, कुलदीप मिश्र, दिव्यांग जन सशक्तिकरण अधिकारी डा. अजीत कुमार, संजीव कुमार कनिष्ठ सहायक सहित 24 अधिकारियों पर मई में रिपोर्ट दर्ज कराई।

आरोप है कि शिक्षा माफियाओं, कालेज संचालकों से दुरभि संधि कर छात्र वृत्ति एवं शुल्क प्रतिपूर्ति की अनियमितताओं को अनदेखा किया। इनकी लापरवाही के चलते ही छात्रवृत्ति में सैकड़ों करोड़ रुपये का घपला हो गया। अब इन अधिकारियों से उनकी वर्तमान तैनाती स्थल पर नोटिस आदि देने के कार्रवाई चल रही है।

जिले के 45 अधिकारी कर चुके हैं जांच में सहयोग

मथुरा: आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन की मांग पर जिलाधिकारी चंद्र प्रकाश सिंह ने 45 अधिकारियों की टीम को इस मामले की विवेचना में लगाया था। जांच अधिकारियों को 22 कालेज को मौके पर बंद मिले। जांच में यह भी पता चला कि कई ऐसे विद्यालयों को मान्यता भी दे दी गई थी कि जहां विद्यालयों का नामोनिशान भी नहीं था।

कई प्रतिष्ठत संस्थानों को जारी हो चुके हैं नोटिस

जिले में कई प्रतिष्ठित संस्थानों को बिना मान्यता व्यावसायिक कोर्स संचालित कराने के मामले में नोटिस जारी किए जा चुके हैं। बताया जा रहा है कि अब इस मामले की विस्तृत जांच होगी। अब जांचकर्ता प्रत्येक कालेज के छात्रवृत्ति संबंधी पूरे ब्यौरे को खंगालेंगे। साथ ही छात्रवृत्ति लेने वालों से फोन कर पूछेंगे कि वे अमुक विद्यालय या विश्वविद्यालय में कब से कब तक छात्रवृत्ति लेते रहे।

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