लखनऊ। सरकार ने ग्रेटर नोएडा और वाराणसी में कर्मचारी राज्य बीमा निगम के नए मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का निर्णय लिया है। इस फैसले से श्रमिकों को उच्च स्तरीय इलाज के साथ चिकित्सा शिक्षा की सुविधा भी मिलेगी।
इसी कड़ी में गोरखपुर और ग्रेटर नोएडा में नए अस्पतालों के निर्माण के लिए गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण से भूमि उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है।
प्रदेश में छह ईएसआई के अस्पताल हैं, जबकि 10 राज्य सरकार से संचालित ईएसआई अस्पताल हैं। श्रम एवं सेवायोजन विभाग द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना के तहत श्रमिकों और उनके स्वजनों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
प्रदेश में छह ईएसआई के अस्पताल हैं, जबकि 10 राज्य सरकार से संचालित ईएसआई अस्पताल हैं। श्रम एवं सेवायोजन विभाग द्वारा कर्मचारी राज्य बीमा निगम योजना के तहत श्रमिकों और उनके स्वजनों के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार किया जा रहा है।
सरकार ने मेरठ, शाहजहांपुर, बरेली, गोरखपुर और ग्रेटर नोएडा में नए अस्पतालों के निर्माण का भी महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। ईएसआई योजना के तहत वर्तमान में श्रमिकों को प्राथमिक और द्वितीयक चिकित्सा देखभाल, सुपर स्पेशियलिटी उपचार और आकस्मिक सेवाएं दी जा रही हैं।
प्रदेश में ईएसआई निगम के 109 अनुबंधित निजी चिकित्सालयों में कैशलेस उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इस समय मेरठ, शाहजहांपुर और बरेली में नए ईएसआई अस्पतालों का निर्माण कार्य चल रहा है।
प्रदेश में ईएसआई निगम के 109 अनुबंधित निजी चिकित्सालयों में कैशलेस उपचार की सुविधा उपलब्ध है। इस समय मेरठ, शाहजहांपुर और बरेली में नए ईएसआई अस्पतालों का निर्माण कार्य चल रहा है।
इसके अलावा, 12 नए ईएसआई औषधालयों की स्थापना किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू की जा रही है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 80.90 लाख रुपये के उपकरणों के खरीद की स्वीकृति ईएसआई निगम ने दिया है।
इस धनराशि से अस्पतालों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरण खरीदे जाएंगे। चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए ईएसआई चिकित्सा अधिकारियों के कैडर रिव्यू की प्रक्रिया भी प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों की भांति शुरू की गई है।
इस धनराशि से अस्पतालों के लिए आधुनिक चिकित्सा उपकरण खरीदे जाएंगे। चिकित्सा सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए ईएसआई चिकित्सा अधिकारियों के कैडर रिव्यू की प्रक्रिया भी प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा के चिकित्सकों की भांति शुरू की गई है।