देहरादून : उत्तराखंड में मंत्रियों के लिए महंगी गाड़ी खरीदने की राह आसान होगी। सूत्रों की मानें तो परिवहन विभाग द्वारा प्रस्तावित वाहन खरीद नीति में वित्त विभाग ने एक तरफ मंत्रियों व प्रमुख सचिव स्तर के अधिकारियों के वाहनों की प्रस्तावित कीमत में कुछ और बढ़ोतरी की पैरवी की है, तो वहीं जिला स्तर के अधिकारियों के वाहनों की कीमत कम करने की टिप्पणी करते हुए नए सिरे से प्रस्ताव बनाने को कहा है।
इस क्रम में अब परिवहन विभाग नए सिरे से प्रस्ताव तैयार कर रहा है, जिसे इसी सप्ताह वित्त को फिर से भेजा जाएगा।
वर्ष 2016 में तैयार की थी वाहन खरीद नीति
परिवहन विभाग ने वर्ष 2016 में वाहन खरीद नीति तैयार की थी। इसके बाद अब नए सिरे से नीति का प्रस्ताव तैयार किया गया है।
इस नीति में बीते छह वर्षों में वाहनों की कीमतों के बढऩे, नए बीएस छह वाहनों के बाजार में उतरने तथा पेट्रोल, डीजल व सीएनजी की कीमतों के बढऩे का हवाला देते हुए वाहन खरीद की सीमा बढ़ाने की संस्तुति की गई है। इसमें मंत्री, मुख्य सचिव, जज से लेकर जिला स्तर तक के अधिकारियों की अलग-अलग श्रेणी बनाई गई हैं।
हर श्रेणी के लिए वाहनों के मूल्य अलग-अलग रखे गए हैं। नीति में कैबिनेट मंत्री, मुख्य सचिव, जज, अपर मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक आदि के लिए वाहन की कीमत की सीमा 15 लाख से बढ़ाकर 25 लाख प्रस्तावित की गई है।
वहीं, मंडलायुक्त, प्रमुख सचिव, सचिव, अपर पुलिस महानिरीक्षक और इसी वेतनमान के अधिकारियों के लिए 12 लाख के स्थान पर 20 लाख रुपये के वाहनों की खरीद प्रस्तावित की गई है।
पहली श्रेणी के लिए 25 लाख के स्थान पर 30 लाख करने का सुझाव
सूत्रों की मानें तो वित्त विभाग ने पहली श्रेणी के लिए 25 लाख के स्थान पर 30 लाख और दूसरी श्रेणी के लिए 20 लाख के स्थान पर 25 लाख करने का सुझाव दिया है।
वहीं, अन्य श्रेणियों में प्रस्तावित वाहनों की कीमतों को अधिक बताते हुए नए सिरे से प्रस्ताव देने को कहा है। वित्त विभाग ने अधिकारियों द्वारा निजी वाहन के इस्तेमाल में पेट्रोल व रखरखाव के लिए प्रस्तावित राशि को भी अधिक बताते हुए नए सिरे से इसका प्रस्ताव देने को कहा है।
सचिव परिवहन अरविंद सिंह ह्यांकी ने कहा कि वित्त की आपत्ति के बाद नए सिरे से प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है, जिसे जल्द वित्त विभाग को सौंप दिया जाएगा।
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