गिद्दड़बाहा स्टेशन पर विजिलेंस ने मारा छापा
विजिलेंस ने 11 हजार 800 रुपये के इन टिकटों को सील कर कब्जे में ले लिया है। देशभर में दलालों का नेटवर्क फैल चुका है जो कंफर्म टिकट बुक कराने के नाम पर मोटी रकम यात्रियों से वसूल कर इसका कुछ हिस्सा रेल कर्मियों तक भी पहुंचाते हैं।
दो या तीन मिनट में ही खत्म हो जाता कोटा
अधिकतर रूट पूरा वर्ष व्यस्त रहते हैं। इन रूटों पर वेटिंग टिकट ही नसीब हो पाता है। अमृतसर से हावड़ा, हावड़ा से मुंबई, नई दिल्ली से मुजफ्फरपुर, नई दिल्ली से पटना आदि रूटों पर टिकट के लिए यात्रियों को दलालों के जाल में फंसना ही पड़ता है।
यात्रा से एक दिन पहले ही तत्काल टिकट मिलता है जिसका दो या तीन मिनट में कोटा खत्म हो जाता है। जिन स्टेशनों पर कर्मियों की टाइपिंग स्पीड धीमी होती है वह तो तत्काल टिकट कंफर्म निकाल भी नहीं पाते।
टिकट भेजना था चुनौती विजिलेंस सुलझा रही गुत्थी
दिन में 11 बजकर 02 मिनट पर गिदड़बाहा रेलवे स्टेशन से करीब 1130 किमी दूर मुहम्मदाबाद रेलवे स्टेशन से लोकमान्य तिलक टर्मिनस मुंबई के लिए यह टिकट अगले दिन आरक्षित हुआ था। 36 घंटे बाद ट्रेन को मुहम्मदाबाद स्टेशन से रवाना होना था।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह भी है कि छोटे से स्टेशन से मुहम्मदाबाद तक टिकट कैसे पहुंचाया जाता। इसकी गुत्थी विजिलेंस की जांच में स्पष्ट हो पाएगी। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहां पर हवाई जहाज से भी कोरियर के माध्यम से टिकट भेजे जाते थे, लेकिन इस छोटे से स्टेशन के आसपास से बड़े स्टेशन की कोई सुविधा नहीं है।
यह टिकट दलाल कैसे यात्रियों तक पहुंचाते थे? इसको लेकर जांच चल रही है। दलालों का नेटवर्क एक राज्य से दूसरे राज्य तक फैला हुआ है जिसको तोड़ने के लिए रेलवे की तमाम एजेंसियां प्रयास कर रही हैं।माल बाबू टिकट बनाते पकड़ा गया
गिदड़बाहा रेलवे स्टेशन पर आरक्षण काउंटर पर तत्काल टिकट बनाता माल बाबू पकड़ा गया, जबकि माल बाबू की ड्यूटी कहीं और थी। आरक्षण क्लर्क को उठाकर खुद ही माल बाबू वहां टिकट बना रहा था। ट्रेन नंबर 15181 में दो टिकटें स्लीपर क्लास की आठ लोगों के लिए बनाए गए थे।
विजिलेंस की टीम पहले ही स्टेशन पर पहुंच गई थी। जैसे ही 11 बजे तत्काल टिकट बनाने की अवधि शुरू हुई तो तुरंत ही विजिलेंस ने कर्मचारी को पकड़ लिया। सूत्रों का कहना है कि पूछताछ में कर्मचारियों ने दबी जुबान में माना कि दलाल के लिए टिकट बनाए जा रहे थे।