कृषि क़ानूनों को लेकर चला आंदोलन यदि प्रायोजित था, तो इसके शिकार किसान क्यों-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफ़ेयर एसोशिएसन

संयुक्त किसान मोर्चा घटक के कुछ किसान नेताओं के बयानों के अनुसार देश में कृषि क़ानूनों से लेकर हरियाणा विधानसभा चुनाव तक जितने भी किसान आंदोलन खड़े किए गए थे और जो गैर राजनीतिक होने का दावा करते थे, उन सभी का अंतिम लक्ष्य बीजेपी सरकार को बदनाम कर सत्ता से हटाना था।
पिछले आठ महीने से भी अधिक समय से हरियाणा-पंजाब के शंभू और खनौरी बॉर्डर पर बैठे किसान संगठन एसकेएम के कुछ घटक और केएमएम ने एक पत्र लिखकर सुप्रीमकोर्ट द्वारा गठित कमेटी से मीटिंग के न्यौते को ठुकरा दिया है।साथ ही कमेटी के गठन को लेकर भी सवाल खड़े कर दिये है।इसका मतलब यह है कि ये संगठन समस्या का समाधान नहीं चाहते है।
किसान संगठन के कुछ नेताओं के बयान ही यह बता रहे है कि कृषि क़ानूनों को लेकर चला आंदोलन व उसके बाद हरियाणा- पंजाब बॉडर पर चल रहा आंदोलन प्रायोजित आंदोलन रहा है तथा ये आंदोलन केवल मोदी सरकार को बदनाम करने के लिए चलाये गये है या चलाये जा रहे है।इन आंदोलन में किसान हित नहीं था।
भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के चढ़ूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने हरियाणा चुनाव में बीजेपी की जीत के बाद बयान दिया है कि हमने तो किसान आंदोलन कर बीजेपी के ख़िलाफ़ माहौल बनाया था,लेकिन कांग्रेस ने उसका लाभ नहीं उठाया।
इससे पहले किसान आंदोलन व सीए क़ानून में अग्रणी भूमिका निभाने वाले योगेन्द्र यादव ने उत्तरप्रदेश विधान सभा चुनाव में पुन: आदित्यनाथ योगी की सरकार बनने पर कहा था कि यूपी में बीजेपी को हराने के लिए किसान आंदोलन ने नींव बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, लेकिन विपक्षी दलों ने अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।इसका मतलब यह हुआ कि कृषि क़ानूनों को वापिस लेने के लिए चला आंदोलन किसान हित के लिए न होकर बीजेपी को हराने व विपक्ष को जिताने के लिए चलाया गया था।
किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी व योगेन्द्र यादव के इन कबूलनामों से किसान आंदोलन के मकसद को लेकर देश में नए सिरे से बहस छिडी हुई है। कृषि क़ानूनों को लेकर चला आंदोलन यदि प्रायोजित था, तो इसके शिकार किसान क्यों बने? यह खेल कौन खेल रहा था और मोहरा किसान क्यों थे? और इसका लाभ किसे हुआ? ऐसे कई सवाल उठे हुये हैं।जबकि कृषि क़ानून बहुत अच्छे क़ानून थे। महिला पहलवानों के आंदोलन को पहले कांग्रेस का समर्थन मिला,फिर पहलवान खिलाड़ी कांग्रेस के रिंग में ही उतर गए।
देश के किसानों को समझना होगा कि ये आंदोलन उनके हित के लिए नहीं चलाये जा रहे थे। ये आंदोलन बीजेपी को सत्ता से हटाने व अपने हित के लिए चलाये जा रहे थे।

अशोक बालियान किसान चिंतक लेखक

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