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देहरादून के सीमांत हनोल-चातरा और उत्तरकाशी के ठडियार को आपस में जोड़ने वाले झूलापुल की कई प्लेट के नट-बोल्ट निकल गए हैं। पुल से लोगों और वाहनों की आवाजाही के दौरान प्लेट लगातार हिलती रहती हैं।
प्लेट के अपनी जगह छोड़ने से पुल से आवागमन कर रहे लोग टोंस में गिर सकते हैं। इस पुल से महासू धाम, हनोल और पबाशिक महासू महाराज के मंदिर आने वाले श्रद्धालु आवाजाही करते हैं। वहीं, दोनों जिलों के सीमांत क्षेत्रों के लोग भी पुल से आवागमन करते हैं।
वित्तीय वर्ष 1995-1996 में हनोल-चातरा को ठडियार से जोड़ने के लिए टोंस नदी पर झूलापुल का निर्माण किया गया था। लेकिन, देखरेख और मरम्मत के अभाव में पुल की प्लेट उखड़ने लगी हैं। अधिकांश प्लेट के एक तरफ के नट-बोल्ट निकल गए हैं। पुल से लोगों और दोपहिया वाहनों की आवाजाही के दौरान प्लेट हिलती रहती हैं। लगातार आवाजाही के चलते प्लेट के दूसरे किनारे के नट-बोल्ट भी ढीले होने लगे हैं। दूसरी तरफ के नट-बोल्ट भी निकल जाते हैं तो प्लेट अपनी जगह छोड़ सकती है।
ठडियार और आसपास के लोग खरीददारी के लिए हनोल और त्यूणी बाजार में आते हैं। उत्तरकाशी के सीमांत क्षेत्र के लोग महासू धाम, हनोल में दर्शन के लिए भी पहुंचते हैं। इसके अलावा त्यूणी, चकराता, साहिया, कालसी, विकासनगर क्षेत्र से लोग ठडियार में पबाशिक महासू महाराज के दर्शन के आते हैं। पुल की मौजूदा हालत को देखते हुए उससे आवागमन करने वाले लोगों और श्रद्धालुओं के लिए खतरा बढ़ गया है।
ठडियार झूलापुल दोनों जिले के सीमांत क्षेत्रों को आपस में जोड़ता है। धार्मिक पर्यटन और सीमांत क्षेत्र के लोगों की सुविधा के मद्देनजर पुल बहुत महत्वपूर्ण है। पुल की प्लेट पर नट-बोल्ट लगाने के साथ अन्य मरम्मत कार्य भी बहुत जरूरी है। लोक निर्माण विभाग को पुल की मरम्मत के लिए पत्र लिखा जाएगा। – हरीश राजगुरु, प्रधान, हनोल-चातरा
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