उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर बयान उचित है- अशोक बालियान,चेयरमैन, पीजेंट वेलफ़ेयर एसो.
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार के मुद्दे उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का बड़ा बयान सामने आया है। उन्होंने कहा है कि राष्ट्र से बढ़कर कुछ नहीं हो सकता है। यह तब होगा जब हम एक रहेंगे। हम बंटेंगे तो कटेंगे। बांग्लादेश में देख रहे हो न क्या हो रहा है? ऐसी गलती यहां पर नहीं होनी चाहिए, एक रहेंगे तो सुरक्षित रहेंगे।
देश में अधिकतर मुस्लिम मतदाता हर चुनाव में बीजेपी को हराने के लिए एक होकर वोट करता है, तब कोई कुछ नहीं कहता। क्योंकि इससे विपक्ष को लाभ मिलता है।
भारत की आज़ादी से पहले आज के बांग्लादेश व उस समय के पूर्वी बंगाल में मुसलमानों की जनसंख्या किसी मुसलमान जाति के प्रवास के कारण नहीं, बल्कि जबरन धर्म परिवर्तन के कारण थी। जेम्स वाइज की पुस्तक ‘Notes on the Races, Castes and Trades of Eastern Bengal by James Wise 1883’ के पेज 2 के अनुसार पूर्वी बंगाल में इस्लामिक के शासन के दौरान शासक जलालुद्दीन ने (सन 1414 से 1430) हिन्दुओं के धर्मांतरण के लिए केवल दो शर्तें रखी थीं, कुरान या मौत। इसके बाद काफी लोगों ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था और काफी लोग ऐसी शर्तों को मानने के बजाय परिवार सहित असम और कछार के जंगलों में भाग गए थे।
जेम्स वाइज की पुस्तक के अनुसार पूर्वी बंगाल में जब मुस्लिम आबादी बिखरी हुई थी, तब प्रत्येक गृहस्थ के लिए अपने धार्मिक विश्वास के संकेत के रूप में अपनी छत पर मिट्टी का पानी का बर्तन (बधना) लटकाना प्रथा थी। एक दिन एक मौलवी एक गांव के बीच में रहने वाले एक परिचित के यहाँ गया, लेकिन उस मौलवी को उस व्यक्ति की छत पर पानी का बर्तन (बधना) नहीं मिला। मौलवी द्वारा पूछताछ करने पर उसे बताया गया कि उसने इस्लाम धर्म त्याग दिया है और फिर से अपने हिन्दू धर्म में वापिस आ गया है।
मौलवी ने शहर लौटने पर, वहां के नवाब को हालात की सूचना दी, इसके बाद नबाब ने सैनिकों की एक टुकड़ी को उस गाँव में जाने का आदेश दिया गया। नबाब के आदेश पर उसकी सेना ने गांव को घेर लिया गया और उसमें रहने वाले हर व्यक्ति को मुसलमान बनने के लिए मजबूर किया। इसके बाद हिंदुओं ने जबरन इस्लाम धर्म स्वीकार किया,क्योंकि यह हत्या या व्यभिचार के लिए सजा से बचने का यही एकमात्र रास्ता था।
पूर्वी बंगाल में बाद के समय में जबरन धर्मांतरण करने की यह अनिवार्य प्रणाली और भी आगे बढ़ गई थी।
जेम्स वाइज की उपरोक्त पुस्तक के पेज 8 के अनुसार भारत के अन्य हिस्सों में भी इस्लामिक शासकों ने यही किया था,जो पूर्वी बंगाल के शासक ने किया था। हिंदुओं के एक अन्य उत्पीड़क सिकंदर लोदी (1488-1516) ने मथुरा के पवित्र मंदिरों को नष्ट कर दिया था और हिंदुओं को अपने सिर या दाढ़ी मुंडाने, नियमित स्नान करने और चेचक की देवी सीता की पूजा करने पर सख्त प्रतिबंध लगा दिया था। सिकंदर लोदी का सारा जीवन लूट, बलात्कार, नर-संहार, हिन्दुओं के सामूहिक इस्लामीकरण और हिन्दू मन्दिरों को मस्जिद और मकबरे में रूपांतरण की एक लम्बी गाथा है।
हिन्दू परंपराओं के पालन पर ‘कर’ वसूली और इस्लाम मानने वालों को छूट देने के पीछे एकमात्र भाव यही था कि हिन्दू धर्मावलम्बी तंग आकर इस्लाम धर्म स्वीकार कर लें। सिकंदर लोदी के शासन काल में संत रविदास ने सिकंदर लोदी के क्रूर अत्याचारों व आतंक से दुखी हो,उसके विरोध करने के लिए मजबूती से उठ खड़े हुए थे और हिंदुओं को एकता का पाठ पढ़ाते हुये जबरन मतांतरण के खिलाफ आवाज उठाई थी। उन्होंने उस आक्रान्ता की अवैध मतांतरण की चुनौती को स्वीकार कर न केवल सनातनधर्मियों को स्वधर्म में अडिग रहने का आत्मबल दिया, वरन हजारों मतांतरित हिन्दुओं की घर वापसी भी करायी थी।
भारत का सर्वप्रमुख धर्म हिन्दू धर्म है, जिसे इसकी प्राचीनता एवं विशालता के कारण ‘सनातन धर्म’ भी कहा जाता है।इसके मानने वालों में उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री श्री आदित्यनाथ योगी द्वारा एकता की बात कहना बिलकुल उचित है।एकता के अभाव में ही विदेशी इस्लामिक हमलावर भारत में इस्लामिक शासन करने व जबरन धर्मांतरण करने में सफल हुए थे।
इतिहास हमें पिछली गलतियों के बारे में सिखाता है, इसलिए अतीत को याद रखना बहुत ज़रूरी है,ताकि वही गलती कभी न दोहराई जाए।
इसलिए पूर्व के इतिहास को देखते हुए उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी का बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार पर बयान उचित है।

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