रामपुर तिराहा कांड मे उम्रकैद
देहरादून/मुज़फ्फरनगर (वरुण शर्मा)
मुज़फ्फरनगर रामपुर तिराहा कांड में तीस साल बाद आज उत्तराखंड के आंदोलनकारियों को न्याय मिला है ।अदालत ने फैसला सुनाते हुए दो आरोपियों को उम्रकैद की सजा व 50-50 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है । जिस पत्रावली पर आज फैसला सुनाया गया है उसमे पीएसी के दो सिपाहियों पर मुकदमा चल रहा था, जिसमे कोर्ट ने आज दोनों सिपाहियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुना दी है।आरोपी दोनों सिपाही मिलाप सिंह और वीरेंद्र सिंह को पुलिस कस्टडी मे लेकर जेल भेज दिया है
दरअसल 1 अक्टूबर 1994 मे उत्तराखंड निवासी आंदोलनकारी उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने की मांग को लेकर बस मे सवार होकर दिल्ली जा रहे थे उस समय की तत्कालीन मुलायम सिंह की सरकार ने आंदोलनकारियो को रोकने का प्रयास किया था उनके ना मानने पर रात के समय आंदोलनकारियों पर लाठीचार्ज और गोलिया चलवा दी थी साथ ही महिलो के साथ बदसलुकी व दुष्कर्म की घटना हुई थी.इस घटना क्रम मे सात आंदोलनकारीयों की मौत हो गयी थी.
तभी सें ये मामला पहले लोकल पुलिस द्वारा मुकदमा देखा फिर बाद मे ये मुकदमा सीबीआई मे चला गया था जिसमे सीबीआई ने पुलिस अधिकारियो व पुलिस कर्मियों पर मुकदमा लिख जाँच की थी.
ये मामला मुज़फ्फरनगर की कोर्ट संख्या 7 मे जज शक्ति सिंह की अदालत मे चल रहा था जिसमे आज शक्ति सिंह की कोर्ट ने दो पीएसी 41 के जवान वीरेंद्र सिंह व मिलाप सिंह को धारा IPC 376.354.509 मे घटना का दोषी मानते हुए दोनों सिपाहियों को उम्रकैद की सजा सुनाते 50-50 हजार रूपये का जुर्मना लगाया है। कोर्ट सें पुलिस ने हिरासत मे लेकर जेल भेज दिया है.
दोनों आरोपी पीएसी गाजियाबाद में सिपाही मिलाप सिंह मूल रूप से एटा के निधौली कलां थाना क्षेत्र के होर्ची गांव का रहने वाला है। दूसरा आरोपी सिपाही वीरेंद्र प्रताप मूल रूप से सिद्धार्थनगर के गांव गौरी का रहने वाला है।