अदनान अख़्तर
मुज़फ़्फ़रनगर।कब्रिस्तान, जो हर मुसलमानों के लिए आखरी मकाम होता है वहीं शहर मुज़फ्फरनगर का शामली रोड स्थित ईदगाह वाला कब्रिस्तान अपनी बदहाली पर रो रहा है।
इसाल-ए-सवाब पहुंचाने वाले लोग कब्रिस्तान की अव्यवस्थाओ व कमेटी की लापरवाही से हुए परेशान।
लोगो का कहना है कि कमेटी के मौन धारण करने की वजह से कब्रिस्तान का बुरा हाल है, कब्रिस्तान में झाड़ इतनी बड़ी हो चुकी जिसके कारण लोगो को अपने पूर्वजों तक जाने की कोई भी पगडंडी नजर नहीं आ रही। कब्रिस्तान में बिजली के खंभे भी नही है जिस करना पूरा कब्रिस्तान रात में अंधेरे से जूझता है व जो मजार पक्के करके बनाए हुए थे वह भी जर्जर हालत होकर गिर चुके हैं जिसकी ओर कोई भी देखभाल नहीं है। कब्रिस्तान में बंदरो का प्रकोप जारी है।
कब्रिस्तान की कोई देखभाल नही है, कोई पुरसाने हाल नही है।
अगर कमेटी के भी लोग अपने ही पूर्वजो को ही इसाल-ए-सवाब नही पहुंचा रहे है तो कमेटी की ज़िम्मेदारी है कि अन्य लोगो के पूर्वजो का ख्याल रखें।

इसके पश्चात कब्रिस्तान की कितनी दुकाने किराए पर किस नाम से चली आ रही थी और आज कितनी दुकाने किस नाम से चल रही है। इसका कोई भी लेखा व ऑडिट किसी प्रकार का नही किया गया। इसके पश्चात किरायेदारी हेतु उनकी रसीद काटने वाला वो कौन शख्स है जो अपनी आमद पे ध्यान देकर अपनी जेब गर्म कर रहा है।
क्या कब्रिस्तान को कमेटी के लोगो ने महज़ अपनी आमद का एक जरिया बना रखा है?
क्या इन लोगो पर कोई कार्यवाही अमल में नहीं लानी चाहिए?

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