देहरादून: उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग अध्यक्ष डा राकेश कुमार ने पद से त्यागपत्र दिया है। मुख्य सचिव डा एसएस संधु ने इसकी पुष्टि की। छह वर्ष के कार्यकाल में मात्र डेढ़ वर्ष रहने के बाद ही डा राकेश कुमार ने यह पद छोड़ दिया।

खासा चर्चाओं में रहा डेढ़ साल का कार्यकाल

उत्तराखंड लोक सेवा आयोग अध्यक्ष के रूप में राकेश कुमार का डेढ़ साल का कार्यकाल खासा चर्चाओं में रहा।इस दौरान आयोग की तीन परीक्षाओं को पेपर लीक होने के कारण रद्द कर दोबारा कराना पड़ा तो वहीं आधा दर्जन से अधिक परीक्षाओं के पूर्व घोषित कार्यक्रम में बदलाव कर उन्हें न‌ई तिथियों पर आयोजित कराना पड़ा।

आयोग के दो अनुभाग अधिकारी पेपर लीक प्रकरण में पकड़े गए और जेल गए। आयोग की परीक्षा से संबंधित पेपर लीक करने बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ। विशेष बात यह रही कि इसका संचालन आयोग की परीक्षाओं से संबंधित दो अनुभाग अधिकारियों के हाथों में रहा। इस मामले में कुछ सफेदपोश नेताओं की संलिप्तता भी सामने आई।

उनके कार्यकाल के दौरान ये रहीं उपलब्धियां

उपलब्धियों के तौर पर राकेश कुमार ने उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं को संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के तर्ज पर कराने की व्यवस्था को लागू किया, जिससे कि उत्तराखंड पीसीएस परीक्षा देने वाले अभ्यर्थियों को उक्त परीक्षा के साथ-साथ संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं के लिए भी तैयार किया जा सके।

पेपर लीक जैसी घटनाओं के बीच उत्तराखंड लोक सेवा आयोग की विभिन्न परीक्षाओं का वार्षिक कैलेंडर जारी कराना, पारदर्शी ढंग से 30 परीक्षाएं आयोजित कराना, लगभग चार हजार अभ्यर्थियों का चयन होना, 110 डीपीसी कराकर सैकड़ों प्रमोशन की राह खोलना, इंटरव्यू में कोडिंग व्यवस्था लागू कराना, परीक्षाओं के प्रश्न पत्र तैयार करने के लिए केंद्रीय संस्थानों के 300 से ज्यादा एक्सपर्ट्स बुलाना, आयोग में डबल लेयर वाली गोपनीय शाखा स्थापित करना, पहली बार इंटेलिजेंस यूनिट स्थापित करना और कैंडिडेट्स के लिए ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम स्थापित कराना आदि उनकी उपलब्धियां रहींं।

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