विपक्ष का सपना नही हुआ साकार,नगरपालिका में भाजपा को हरा सका सिर्फ मूलचंद सर्राफ परिवार
✒️सौरभ मित्तल✒️
मुज़फ्फरनगर।चुनाव सम्पन्न हुए और 13 तारीख की मतगणना के बाद मीनाक्षी स्वरूप तमाम दावों और अंदरूनी विरोध के बावजूद नगरपालिका अध्यक्ष पद पर काबिज हो ही गई।
वैसे तो लोग इस जीत में aiaim की प्रत्याशी छोटी द्वारा मुस्लिम समाज की काटी गई वोट का बहुत बड़ा योगदान बता रहे है लेकिन आकड़ो को देखे तो मुस्लिमों में किसी भी प्रत्याशी द्वारा पकड़ न बना पाना और सपा प्रत्याशी लवली शर्मा पर भरोसा न हो पाना भी भाजपा की जीत का आधार बना है।
आकड़ो की बात करे तो नगर में जनता द्वारा सर्वप्रथम चैयरमेन भाजपा के डॉ सुभाष चंद शर्मा चुने गए थे , उसके बाद भाजपा ने लगातार जगदीश भाटिया और कपिल देव अग्रवाल के रूप में चैयरमेन शहर को दिए और नगरपालिका मुज़फ्फरनगर की सीट भाजपा का गढ़ मानी जाने लगी लेकिन भाजपा का ये विजय रथ रोका स्वर्गीय लाला मूलचंद सर्राफ के सुपुत्र पंकज अग्रवाल ने और उन्होंने भाजपा के ही गढ़ में संजय अग्रवाल को हराकर भाजपा का किला ढहाया और फिर 5 साल बाद उन्ही की चाची श्रीमती अंजू अग्रवाल ने भाजपा और योगीजी की जबरदस्त लहर में अपनी चुनावी नैया को विजयश्री दिलाई।
यू तो अंजू अग्रवाल बाद में 3 साल भाजपा में भी रही लेकिन भाजपाइयों का कोई सहयोग उन्हें मिलता नही नजर आया और इसके विपरीत आकड़ो के हिसाब से वे नगरपालिका की सबसे सशक्त अध्यक्ष के रुप मे उभर कर आई।
मूलचंद सर्राफ परिवार की जीत का कारण दोनों चुनावो में उन्हें हिन्दू व मुस्लिम सभी लोगो मे मिले भारी मत रहे ।
इस बार मूलचंद सर्राफ परिवार से कोई मैदान में नही था और भाजपा को इसका फायदा मिला और भाजपा अपने गढ़ में फिर से काबिज हो गयी।
इस चुनाव के बाद विपक्ष में यह चर्चा है कि अगर भाजपा का विजय रथ कोई रोक सकता था तो वो यही परिवार रोक सकता था।
भाजपा में शामिल होकर अंजू अग्रवाल को कोई फायदा हुआ हो या न हुआ हो लेकिन भाजपा को इसका फायदा ये चुनाव जीतकर जरूर हुआ है।।