नई दिल्ली: पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो जरदारी मई के पहले हफ्ते में भारत की यात्रा पर आ रहे हैं. इस दौरे को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने कहा कि भारत में शंघाई सहयोग संगठन परिषद की बैठक में उनकी भागीदारी एससीओ के चार्टर के प्रति इस्लामाबाद की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और इसे द्विपक्षीय संबंधों के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए.
दुनिया न्यूज पर गुरुवार को प्रसारित एक कार्यक्रम में पूछे गए सवाल के जवाब में भुट्टो ने कहा कि वह अगले महीने गोवा में होने वाली विदेश मंत्रियों की बैठक में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व करेंगे. उन्होंने कहा, “हम एससीओ चार्टर के लिए प्रतिबद्ध हैं और इस यात्रा को द्विपक्षीय यात्रा के रूप में नहीं, बल्कि एससीओ के संदर्भ में देखा जाना चाहिए.”
4 और 5 मई को भारत में रहेंगे बिलावल भुट्टो
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि बिलावल भुट्टो गोवा में 4 और 5 मई को होने वाली एससीओ विदेश मंत्रियों (सीएफएम) की बैठक में पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करेंगे. पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता मुमताज ज़हरा बलूच ने कहा कि बिलावट भुट्टो विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर एससीओ-सीएफएम बैठक में भाग ले रहे हैं.
प्रवक्ता ने कहा, “बैठक में हमारी भागीदारी एससीओ चार्टर और प्रक्रिया के प्रति पाकिस्तान की निरंतर प्रतिबद्धता और पाकिस्तान द्वारा अपनी विदेश नीति की प्राथमिकताओं में क्षेत्र को दिए जाने वाले महत्व को दर्शाती है.”
12 साल बाद कोई पाकिस्तान का विदेश मंत्री आ रहा है भारत
बिलावल भुट्टो लगभग 12 वर्षों के अंतराल के बाद भारत आने वाले पहले विदेश मंत्री होंगे. 2011 में पाकिस्तान की तत्कालीन विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार ने भारत का दौरा किया था. भारत ने आगामी विदेश मंत्रियों की बैठक के लिए पाकिस्तान और चीन सहित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सभी सदस्यों को औपचारिक रूप से निमंत्रण भेजा है. चीनी विदेश मंत्री किन गैंग और उनके रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के भी बैठक में भाग लेने की संभावना है.
भारत ने पिछले साल सितंबर में 9-सदस्यीय मेगा ग्रुपिंग की अध्यक्षता संभाली थी और इस साल प्रमुख मंत्रिस्तरीय बैठकें और शिखर सम्मेलन आयोजित किया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग कर रहा है पाकिस्तान
पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद के कारण दोनों देशों के बीच संबंध कई सालों से अनिश्चित रहे हैं, यहां तक कि इस्लामाबाद किसी भी वार्ता के लिए जम्मू-कश्मीर के लिए अनुच्छेद 370 की बहाली की मांग करता है.
20 वर्षीय संगठन में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान और चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान इसके सदस्य हैं. ईरान सदस्य बनने वाला नवीनतम देश है और भारतीय अध्यक्षता में पहली बार पूर्ण सदस्य के रूप में समूह की बैठक में भाग लेगा. शंघाई सहयोग संगठन की पिछली बैठक उज्बेकिस्तान के समरकंद में हुई थी.
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