अमेरिका में सुप्रीम कोर्ट ने गर्भपात की गोलियों पर लगे प्रतिबंध को खारिज करते हुए उनके इस्‍तेमाल की अनुमति दे दी है. सुप्रीम कोर्ट ने वहां गर्भपात की सबसे आम विधि में इस्तेमाल की जाने वाली दवा तक महिलाओं की पहुंच को बरकरार रखा है और निचली अदालत के प्रतिबंधों को खारिज कर दिया है. इस आदेश का बाइडेन प्रशासन ने स्वागत किया है.

अमेरिका में टेक्सास और वाशिंगटन में फेडरल जजों ने 7 मार्च को मिफेप्रिस्टोन दवा (Mifepristone) को बैन करने का फैसला सुनाया था. मिफेप्रिस्टोन दवा का इस्तेमाल आमतौर पर गर्भपात के लिए किया जाता है. जब कोर्ट में इस दवा के इस्‍तेमाल पर रोक लगाने का फैसला सुनाया गया तो कुछ महिला संगठनों ने आपत्ति जताई. वहीं, बाइडेन सरकार ने कहा कि वे महिला अधिकारों के हित में फैसला चाहते हैं. अब वहां सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ने बाइडेन प्रशासन और न्यूयॉर्क स्थित डैंको लेबोरेटरीज, दवा मिफेप्रिस्टोन के निर्माता का राहत देते हुए गर्भपात दवाओं को इमरजेंसी में इस्‍तेमाल करने की मंजूरी दे दी है. बाइडेन प्रशासन के समर्थक और मिफेप्रिस्टोन के निर्माता निचली अदालत के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे, और मिफेप्रिस्टोन पर लगे प्रतिबंध हटवाने की अपील की थी.

अमेरिका में मिफेप्रिस्टोन पर लगा था बैन

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका में मिफेप्रिस्टोन को गर्भपात के लिए 2000 से इस्‍तेमाल करने की अनुमति है. और, वहां 5 मिलियन से अधिक लोगों ने इसका उपयोग किया है. अमेरिका में गर्भपात के आधे से अधिक मामलों में इसी तरह की दवा इस्‍तेमाल की गई. वहीं, जब गर्भपात के मामले बढ़ने पर अमेरिका में जन्‍मदर पर असर पड़ा तो बहुत से लोग ये कहने लगे कि गर्भपात कराने वाली दवाओं पर रोक लगनी चाहिए. कई रिपोर्ट्स में यह कहा गया कि गर्भपात कराने वाली दवाओं से महिलाओं की भी जान खतरे में पड़ जाती है.

‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत करते हैं’

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्‍वागत करते हैं. उन्‍होंने कहा कि मिफेप्रिस्टोन के इस्‍तेमाल की कानूनी लड़ाई अदालत में जारी रहेगी, ले‍किन उससे पहले इसके इस्‍तेमाल पर रोक लगाना सही नहीं था, अब सुप्रीम कोर्ट ने यह कह दिया है कि महिलाएं ऐसी दवा ले सकती हैं.

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