पाकिस्तान के पूर्व सेनाध्यक्ष और राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ का लंबी बीमारी के बाद दुबई (Dubai) के एक अस्पताल में रविवार को निधन हो गया. मुशर्रफ के परिजनों ने बताया कि उन्होंने एमाइलॉयडोसिस के कारण आज दम तोड़ दिया. उन्हें कुछ हफ्तों के लिए अस्पताल में भर्ती करवाया गया था.
पिछले साल, 10 जून को उनके परिवार ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया था. परिवार ने कहा था कि पूर्व सेना प्रमुख उस स्थिति में हैं जहां उनकी तबीयत बिगड़ती जा रही है और रिकवरी नहीं हो सकती है. हालांकि, उन्होंने कहा था कि वो वेंटिलेटर पर नहीं हैं. परिवार ने लोगों से प्रार्थना करने की अपील की थी.
बता दें कि साल 1999 में सफल सैन्य तख्तापलट के बाद परवेज मुशर्रफ दक्षिण एशियाई राष्ट्र (पाकिस्तान) के दसवें राष्ट्रपति थे. उन्होंने 1998 से 2001 तक 10वें CJCSC और 1998 से 2007 तक 7वें शीर्ष जनरल के रूप में कार्य किया. बता दें कि 1961 में 18 साल की उम्र में मुशर्रफ ने काकुल में पाकिस्तान सैन्य अकादमी में प्रवेश किया था.
भारत-पाकिस्तान संघर्ष (1965-1971)
द्वितीय कश्मीर युद्ध में खेमकरण सेक्टर के लिए लड़ाई के दौरान मुशर्रफ का पहला युद्धक्षेत्र अनुभव एक तोपखाना रेजिमेंट के साथ था. मुशर्रफ ने संघर्ष के दौरान लाहौर और सियालकोट युद्ध क्षेत्रों में भी भाग लिया था. उन्हें वीरता के लिए इम्तियाज़ी सनद पदक मिला. 1965 के युद्ध की समाप्ति के तुरंत बाद मुशर्रफ को कुलीन विशेष सेवा समूह में शामिल हो किया गया था. उन्होंने 1966 से 1972 तक SSG में सेवा की.
मुशर्रफ का करगिल युद्ध भड़काने में बड़ा योगदान
तत्कालीन आर्मी चीफ मुशर्रफ ही करगिल संघर्ष (Kargil War) के पीछे एक प्रमुख रणनीतिकार थे. 1999 में मार्च से मई तक उन्होंने करगिल जिले में गुप्त घुसपैठ का आदेश दिया था. इसके बाद, जैसे ही इस बात की भनक भारत को लगी तो दोनों देशों के बीच युद्ध शुरू हो गया. इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी थी और मुशर्रफ की भी बहुत किरकिरी हुई थी.
पाकिस्तान के राष्ट्रपति नवाज शरीफ ने कहा था कि ऑपरेशन उनकी जानकारी के बिना किया गया था. हालांकि, करगिल ऑपरेशन से पहले और बाद में उन्हें सेना से मिली ब्रीफिंग का ब्योरा सार्वजनिक हो गया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऑपरेशन से पहले जनवरी और मार्च के बीच, शरीफ को तीन अलग-अलग बैठकों में ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी गई थी.
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