अब उत्तराखण्ड में बिना कारण रेफरल नहीं, CM धामी के निर्देश पर सख्ती, SOP लागू
अनुज त्यागी
देहरादून। उत्तराखण्ड में सरकारी अस्पतालों से बिना ठोस चिकित्सकीय कारण के मरीजों के रेफरल पर अब रोक लगेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने रेफरल प्रणाली में पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए सख्त SOP लागू कर दी है।
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया कि अब किसी मरीज को तभी उच्च संस्थानों में भेजा जाएगा, जब अस्पताल में आवश्यक विशेषज्ञ या उपकरण उपलब्ध न हों। रेफरल का निर्णय मौके पर मौजूद वरिष्ठ चिकित्सक ही ले सकेंगे। केवल फोन या ई-मेल पर सूचना देकर रेफरल अमान्य होगा। इमरजेंसी में ऑन-ड्यूटी विशेषज्ञ व्हाट्सऐप या फोन पर निर्णय ले सकेंगे, लेकिन बाद में उसका दस्तावेजीकरण अनिवार्य होगा।
हर रेफरल फॉर्म में स्पष्ट कारण दर्ज करना जरूरी होगा कि मरीज को क्यों रेफर किया गया – विशेषज्ञ की अनुपलब्धता, उपकरण की कमी या अन्य चिकित्सकीय कारण। बिना ठोस कारण रेफरल पर संबंधित CMO या CMS जिम्मेदार होंगे।
सरकार ने एम्बुलेंस प्रबंधन पर भी सख्ती की है। अब 108 एम्बुलेंस सिर्फ Inter Facility Transfer (IFT) में ही उपयोग की जाएंगी। वर्तमान में प्रदेश में 272 “108 एम्बुलेंस”, 244 विभागीय एम्बुलेंस और केवल 10 शव वाहन कार्यरत हैं। अल्मोड़ा, बागेश्वर, चंपावत, पौड़ी और नैनीताल में शव वाहन नहीं हैं, जिनके लिए वैकल्पिक व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं।
मुख्यमंत्री धामी का उद्देश्य प्रदेश की रेफरल प्रणाली को व्यवस्थित कर मरीजों को समय पर इलाज उपलब्ध कराना और स्वास्थ्य तंत्र को पारदर्शी बनाना है। अब हर रेफरल एक चिकित्सकीय आवश्यकता होगा, न कि औपचारिक प्रक्रिया, जिससे उत्तराखण्ड की स्वास्थ्य सेवाएं और मजबूत होंगी।
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