बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने रेल किराया बढ़ोतरी को बताया जनविरोधी, गरीबों के पलायन और महंगाई पर घेरा केंद्र सरकार
लखनऊ।
बीएसपी प्रमुख मायावती ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि जब देश की बड़ी आबादी महंगाई, बेरोज़गारी और कमाई घटने जैसी समस्याओं से जूझ रही है, तब रेल किराया बढ़ाना आम जनता के हित में नहीं है। यह सरकार की व्यावसायिक सोच का फैसला लगता है, न कि संविधान के कल्याणकारी दृष्टिकोण का।
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मायावती ने कहा कि ‘राष्ट्र प्रथम’ के नाम पर जीएसटी की तरह रेलवे के जरिए भी जनता पर बोझ बढ़ाना और उनका शोषण करना गलत है। सरकार को इस फैसले पर तुरंत पुनर्विचार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि देश में गरीबी और रोजगार की कमी के कारण करोड़ों लोग परिवार पालने के लिए घर छोड़कर दूसरे राज्यों में पलायन करने को मजबूर हैं। ऐसे में रेल यात्रा उनके लिए कोई पर्यटन नहीं बल्कि मजबूरी है, और सरकार को इसके प्रति सहानुभूतिपूर्ण रवैया अपनाना चाहिए।
बीएसपी सुप्रीमो ने कहा कि सरकार को केवल अमीरों की चिंता छोड़कर करोड़ों गरीबों की हालत पर ध्यान देना चाहिए, जो रोज़गार के अभाव में सम्मानजनक जीवन जीने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और एक वक्त का भोजन जुटाने के लिए भी सरकारी योजनाओं पर निर्भर हैं।
उन्होंने दावा किया कि आज देश की 95 करोड़ आबादी में से लगभग 64.3% लोग किसी न किसी सरकारी योजना के लाभार्थी बनने को मजबूर हैं, जबकि 2016 में यह आंकड़ा केवल 22% था। मायावती ने कहा कि सरकार इसे अपनी उपलब्धि बताती है, जबकि सच्चाई यह है कि गरीबों को सरकारी योजनाओं का थोड़ा सा लाभ पाने के लिए भी लंबी भागदौड़ करनी पड़ती है।
प्रदूषण नियंत्रण पर बोलते हुए मायावती ने कहा कि वाहन प्रदूषण रोकने के लिए सरकार को कठोर कदम उठाने चाहिए, लेकिन ट्रांसपोर्ट उद्योग से जुड़े करोड़ों परिवारों के जीवन को मुश्किल में डालने से बचना चाहिए।
दिल्ली में गरीबों की झुग्गी-झोपड़ी हटाने पर उन्होंने कहा कि कोर्ट ने पुनर्वास की वैकल्पिक व्यवस्था करने से रोका नहीं है, फिर भी दिल्ली सरकार गरीबों को उजाड़ रही है, जो शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि कोर्ट की आड़ में गरीबों की बस्तियां तोड़ना घोर अन्याय है और सरकार को अपनी कल्याणकारी भूमिका नहीं भूलनी चाहिए।
मायावती ने दिल्ली में महंगाई और बिजली संकट का भी मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि आमदनी कम और खर्च ज्यादा होने से लोगों के अच्छे दिन की उम्मीद टूट रही है। बिजली की कमी ने न केवल आम जनता बल्कि छोटे व्यापार और उद्योग-धंधों को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। निजीकरण का लाभ भी जनता तक नहीं पहुंच पा रहा है, यह सरकार की नीतियों की खामी दिखाता है।
अंत में मायावती ने कहा कि सरकार को जनता के हित में इन समस्याओं का समाधान जल्द निकालना चाहिए। धन्यवाद, जय भीम, जय भारत।

