
आपातकाल की 50वीं बरसी पर सहारनपुर में लोकतंत्र सेनानियों को कलेक्ट्रेट स्थित नवीन सभागार में आपातकाल की 50वीं बरसी के अवसर पर एक संगोष्ठी एवं चित्र प्रदर्शनी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों को माला व अंगवस्त्र पहनाकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत एक विशेष प्रदर्शनी से हुई, जिसमें भारत में लोकतंत्र की प्राचीन परंपरा, जन-केंद्रित दृष्टिकोण और जनभागीदारी आधारित शासन की झलक प्रस्तुत की गई। प्रदर्शनी में मौर्य सम्राट अशोक के शिलालेखों से लेकर आधुनिक भारतीय संविधान तक लोकतंत्र के विकास को दिखाया गया।
इस अवसर पर लोकतंत्र सेनानियों राजेंद्र अटल, अशोक कुमार, डॉ. आज़ाद चौधरी, प्रेम सिंह भंडारी, बलदेव राज, शमीम बानो, मुहम्मद यूसुफ, शीतल टंडन, मोहम्मद जमाल गौरी, सुभाष त्यागी, शौकत अली, रमेश चन्द्र व कासिम अहमद को सम्मानित किया गया।
विचार गोष्ठी में लोकतंत्र सेनानियों ने आपातकाल के अनुभव साझा करते हुए कहा कि वह उस काले दौर में लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध रहे। कार्यक्रम में बताया गया कि 25 जून 1975 को संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की गई थी, जिसमें मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाया गया।
कार्यक्रम में बताया गया कि इस आपातकाल के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी, चन्द्रशेखर, लालकृष्ण आडवाणी और जॉर्ज फर्नांडिस जैसे नेता जेल में डाले गए थे। वहीं वर्तमान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भी उस समय एक युवा कार्यकर्ता के रूप में भूमिगत रहते हुए आंदोलन में सक्रिय रहे थे।
प्रधानमंत्री मोदी के कथन का उल्लेख करते हुए बताया गया कि 25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में याद किया जाता है, जब भारत के संविधान को कुचला गया था। बाद में 21 मार्च 1977 को आपातकाल हटा लिया गया और 44वें संविधान संशोधन के जरिए लोकतंत्र की पुनर्स्थापना की गई।
कार्यक्रम में जिलाधिकारी मनीष बंसल, अपर जिलाधिकारी प्रशासन संतोष बहादुर सिंह, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व सलिल कुमार पटेल, सिटी मजिस्ट्रेट गजेन्द्र कुमार सहित समस्त एसडीएम व अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।

