तर्क था कि उनका गर्भपात हो गया है था वह उपचाराधीन हैं। विभाग ने अवकाश स्वीकृत कर उनका वेतन भी जारी कर दिया था। इस क्रम में उनकी के मुहल्ले के रहने वाले अधिवक्ता मनु शर्मा ने इसकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करते हुए गर्भपात की आड़ में अवकाश लेने व वेतन आहरण करने के मामले की जांच कराने की मांग की थी।
अधिवक्ता की याचिका पर सीजेएम ने दिए थे आदेश
मनु शर्मा का आरोप है कि जांच के दौरान आरोपित शिक्षिका गर्भपात संबंधी उपचार के प्रमाण पत्र प्रस्तुत नहीं कर सकी थीं। यानि उन्होंने झूठ बोल कर अवकाश किया था। इसके बाद भी विभागीय अधिकारियों ने 42 दिन का वेतन जारी कर दिया था। दरअसल इसका खुलासा मनु शर्मा द्वारा तत्कालीन बीईओ जोया से आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना से हुआ था।
गर्भपात अवकाश के नाम पर धोखाधड़ी कर वेतन लेने का मामला
आरोप है कि शिकायत के बावजूद विभागीय अफसरों ने मामले में कोई गंभीरता नहीं दिखाई। लिहाजा मनु शर्मा ने अदालत की शरण ली थी। अब इस मामले में याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेएम ने नगर कोतवाली पुलिस को मौजूदा बीएसए मोनिका, शिक्षिका वर्षा गुप्ता के साथ ही तत्कालीन बीएसए, एबीएसए व बीएसए कार्यालय के पटल सहायक, तत्कालीन एबीएसए जोया समेत सात लोगों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। प्रभारी निरीक्षक पंकज तोमर ने बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

