वाराणसी। ‘मधुर, मनाेहर, अतीव सुंदर, यह सर्वविद्या की राजधानी…,’ देश के प्रसिद्ध विज्ञानी व शोध प्रयोगशालाओं के जनक डा. शांति स्वरूप भटनागर द्वारा रचित काशी हिंदू विश्वविद्यालय का यह कुलगीत विश्वविद्यालय की मूर्त विशेषताओं को शाब्दिक अभिव्यक्ति देता है। 1300 एकड़ में फैले मुख्य परिसर के अतिरिक्त 2700 एकड़ में दक्षिणी परिसर व एक अलग भूखंड पर अवस्थित शिक्षा संकाय, इस विश्वविद्यालय को एशिया का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय बनाते हैं।
विश्वविद्यालय के छह संस्थानों, 16 संकायों व 140 विभागों में होने वाली विभिन्न विषयों की पढ़ाई इसे सर्वविद्या की राजधानी के रूप में स्थापित करती है। तभी तो भारत सहित लगभग 40 देशों के 36 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं यहां विभिन्न विषयों में अध्ययनरत हैं। काशी हिंदू विश्वविद्यालय एकमात्र ऐसा परिसर है जहां विज्ञान, कला, खगोल, मानविकी, समाज विज्ञान, वाणिज्य, संगीत, मूर्ति कला, शिक्षा, चिकित्सा, कृषि, पशुपालन, डेयरी, पर्यावरण, इंजीनियरिंग, फार्मेसी, नर्सिंग, प्रबंधन, विधि, योग, खेल, वेद-वेदांग, ज्योतिष, भाषादि समस्त विषय उपलब्ध हैं। इस परिसर में नर्सरी और प्राथमिक से लेकर डाक्टरेट/पोस्ट-डाक्टोरल डिग्री तक के पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
महामना पं. मदन मोहन मालवीय की संकल्पना का मूूर्त रूप है 109 वर्ष प्राचीन विद्या का मंदिर
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महामना पं. मदन मोहन मालवीय की संकल्पना का मूूर्त रूप है 109 वर्ष प्राचीन विद्या का मंदिर