देहरादून। अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, डेनमार्क, स्पेन, कनाडा, इटली और फ्रांस समेत 41 देशों में पिटबुल को पालने पर प्रतिबंध है। भारत सरकार ने भी कुत्तों के बढ़ते जानलेवा हमले को देखते हुए मार्च 2024 में पिटबुल समेत 23 खतरनाक प्रजाति के कुत्तों की बिक्री व प्रजनन पर रोक लगा दी थी। बावजूद इसके देहरादून शहर में पिटबुल बेरोकटोक पाले जा रहे हैं।
वर्तमान में यहां 4,097 खतरनाक प्रजाति के कुत्ते पल रहे हैं, जिनमें 98 पिटबुल हैं। पिटबुल कितना खतरनाक है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब वह किसी को अपने शिकंजे में लेता है तो उसके जबड़े एक तरह से लाक हो जाते हैं और उनसे खुद को छुड़ाना बेहद मुश्किल होता है। इसके अलावा शौकीन लोग बाक्सर, राटविलर, डाबरमैन जैसी खतरनाक प्रजाति के कुत्ते भी पाल रहे हैं।
देहरादून जिले के विकासनगर क्षेत्र में वृद्धा पर पिटबुल के हमले के बाद शहर में बेरोकटोक पल रहे खतरनाक प्रजाति के कुत्तों को लेकर फिर सवाल उठने लगे हैं। नगर निगम देहरादून में दर्ज पालतू कुत्तों के पंजीकरण पर नजर डालें तो शहर में देशी-विदेशी प्रजाति के छह हजार से अधिक कुत्ते लोगों ने पाल रखे हैं। इनमें 4,097 खतरनाक प्रजाति के हैं।
यह संख्या लाइसेंस लेने वालों की है, जबकि बड़ी संख्या में लोग बिना लाइसेंस लिए ही खतरनाक प्रजाति तक के कुत्ते पाल रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब देश में आए दिन कुत्तों के हमले की घटनाएं सामने आ रही हैं। बावजूद इसके दून में खतरनाक कुत्तों को पालने का शौक कम नहीं हो रहा। शहर में कुत्ता पालने के लिए नगर निगम से लाइसेंस लेना अनिवार्य है।

दून शहर में पंजीकृत कुत्ते

  • प्रजाति, संख्या
  • पिटबुल, 98
  • जर्मन शेफर्ड, 656
  • लेब्राडोर, 735
  • मिक्स, 860
  • गोल्डन रोटवेयर, 261
  • पामेरेनियन, 334
  • भोटिया, 346
  • बीगल, 155
  • राटविलर, 148
  • पग, 145
  • हस्की, 74
  • डेसहंड, 66
  • काकर स्पेनियल, 48
  • डालमेटियन, 12
  • तिब्बतन मसटिफ, 18
  • डाबरमैन, 22
  • ल्यासा एप्सो, 84
  • बाक्सर, 22
  • चाऊ-चाऊ, 13

शिकायत पर होती है निगरानी

नगर निगम देहरादून के पशु चिकित्सा अनुभाग के नोडल अधिकारी उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल ने बताया कि अगर कोई कुत्ता खतरनाक हो जाता है और लोगों को काटने लगता है तो उसकी निगरानी का प्रविधान है। शर्त यह है कि इस सबंध में निगम को शिकायत दी जानी चाहिए।

इसके बाद निगम की पशु चिकित्सा अनुभाग की टीम कुत्ते की रेबीज की जांच करती है। जब कुत्ते का व्यवहार ठीक हो जाता है तो उसे उसी स्थान पर छोड़ दिया जाता है। नगर निगम की ओर से पंजीकरण न कराने वालों के विरुद्ध कार्रवाई की जाती है। निराश्रित कुत्तों का बंध्याकरण भी तेजी से किया जा रहा है।

45,400 कुत्तों का हो चुका बंध्याकरण

देहरादून शहर में कुत्तों का आतंक रोकने को नगर निगम ने वर्ष 2016 में एनीमन बर्थ कंट्रोल सेंटर की शुरुआत की थी। यहां निराश्रित कुत्तों की संख्या नियंत्रित करने के लिए उनका बंध्याकरण किया जाता है। अब तक दून में 45,400 कुत्तों का बंध्याकरण किया जा चुका है।

चोरी-छिपे बाहर से ला रहे खतरनाक प्रजाति के कुत्ते

पिछले वर्ष मार्च में केंद्र सरकार की नई गाइडलाइन के अनुसार 23 प्रजाति के खतरनाक कुत्तों के प्रजनन व बिक्री पर प्रतिबंध लगाने के बाद दून में इनकी खुलेआम बिक्री भले नहीं हो रही, लेकिन चोरी-छिपे लोग बाहर से इन कुत्तों को लाकर यहां पाल रहे हैं। इनमें रोटविलर, पिटबुल, अमेरिकन बुली जैसी प्रजाति के कुत्ते शामिल हैं।

पालतू कुत्ते के काटने पर सजा का प्रविधान

सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता राजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि यदि किसी का पालतू कुत्ता किसी इंसान को काट लेता है तो भारतीय न्याय संहिता की धारा-291 के तहत मालिक को छह महीने तक कैद का प्रविधान है। इसके अलावा इसमें पांच हजार रुपये जुर्माने का प्रविधान भी है। पालतू कुत्ते के काटने पर किसी की मौत होने पर गैर-इरादतन हत्या के अंतर्गत मामला दर्ज किए जाने का प्रविधान है।

तापमान में परिवर्तन भी हमले का कारण

वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. डीसी तिवारी ने बताया कि ठंडे तापमान वाले क्षेत्रों के कुत्तों को जब गर्म तापमान वाले क्षेत्रों में पाला जाता है तो उनके व्यवहार में परिवर्तन आता है। इस स्थिति में कुत्ते खतरनाक होने लगते हैं। यही कारण है कि पालतू कुत्ते भी जानलेवा हमला करने लगते हैं। डा. तिवारी ने बताया कि गर्मियों में वैसे भी कुत्तों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है। शरीर पर अधिक बाल वाले कुत्तों को गर्मी में असहज महसूस होता है, ऐसे में वह आसपास मौजूद लोगों पर हमला भी कर सकता है।

कुत्ता पालने को ये नियम मानना जरूरी

  • नगर निकाय में पंजीकरण और हर वर्ष उसका नवीनीकरण कराना होता है
  • हर छह माह के अंतराल में कुत्ते का टीकाकरण कराना
  • बाहर घुमाने ले जाने के दौरान कुत्ते के गले में मजबूत पट्टा व चेन होनी चाहिए
  • खतरनाक प्रजाति के कुत्ते को बाहर घुमाने ले जाने के दौरान मुंह पर जाल हो
  • कुत्ते को ले जाना वाला व्यक्ति इतना सक्षम हो कि उसे ठीक से संभाल सके
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