नैनीताल। प्रसिद्ध रसायन विज्ञानी व कुमाऊं विवि के कुलपति प्रो. दीवान सिंह रावत को लाइलाज बीमारी पार्किंसंस के उपचार के लिए दवा की खोज में शोध करने व दवा के मानव स्तर पर परीक्षण के स्तर पर जाने की उपलब्धि को इंडियन साइंस एकेडमी की ओर से सराहना की गई है।

एकेडमी की ओर से प्रो. रावत को देशभर के सौ विज्ञानियों में चयन करते हुए एकेडमी फैलो से सम्मानित किया है। प्रो. रावत कुमाऊं में यह सम्मान प्राप्त करने वाले दूसरे विज्ञानी हैं।

एकेडमी की सर्वोच्च बॉडी ने यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। करीब एक माह के भीतर यह सम्मान औपचारिक रूप से प्रो. रावत को दिया जाएगा। यह सम्मान देश में विज्ञान के क्षेत्र में दिया जाने वाले सर्वोच्च सम्मान में शामिल है।

देशभर में विज्ञान आधारित शोध को बढ़ावा देने के लिए 1935 में साइंस एकेडमी की स्थापना हुई थी। 1979 में कुमाऊं के प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रो. डीएस भाकुनी को यह सम्मान प्रदान किया गया था जबकि कुमाऊं के पिथौरागढ़ निवासी प्रसिद्ध भूगर्भ विज्ञानी प्रो. डीएस वाल्दिया को 1982 में यह सम्मान दिया गया।

2002-03 में यह सम्मान गढ़वाल विवि के पूर्व कुलपति प्रो. एसपी सिंह को भी दिया गया। मूल रूप से बागेश्वर निवासी प्रो. रावत के कुलपति बनने के बाद कुमाऊं विवि को भारत सरकार से सौ करोड़ की ग्रांट मंजूर हुई।

वह उत्तराखंड में राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन संबंधित कमेटी के चेयरमैन भी हैं। कुलपति को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की ओर से विषय विशेषज्ञ समिति का भी सदस्य नामित किया गया है।

छात्रों को दिया श्रेय

कुलपति प्रो. रावत ने एकेडमी के फैलो चयनित होने के निर्णय पर हर्ष जताते हुए इसे शोध छात्रों के लिए प्रेरणादायक बताया। उन्होंने विवि को सम्मान समर्पित करते हुए कहा कि शोध के क्षेत्र में छात्रों के प्रोत्साहन के लिए तय प्रक्रिया को आसान बनाया जा रहा है।

अल्मोड़ा विवि के कुलपति प्रो. सतपाल बिष्ट, डीएसबी निदेशक प्रो. नीता बोरा शर्मा, प्रो. एचसीएस बिष्ट, प्रो. महेंद्र राणा, सीनेट सदस्य अरविंद पडियार, छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष विशाल वर्मा, पंकज भट्ट, दीपक मेलकानी, डा. मोहित रौतेला, डॉ. हेम जोशी आदि ने बधाई दी है।

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