गोपेश्वर। विश्व धरोहर फूलों की घाटी अभी बर्फ से लकदक है। एक जून को घाटी का प्रवेश द्वार खोला जाना है, सो नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क प्रशासन इसकी तैयारियों में जुट गया है।
इसी कड़ी में वन कर्मियों की टीम घाटी का निरीक्षण कर लौट आई है। पैदल मार्ग पर बर्फ के साथ हिमखंड भी मौजूद हैं, इसलिए विभाग ने मार्ग को खोलने की रणनीति को अभी अंतिम रूप नहीं दिया है।
चमोली जिले में समुद्र तल से 12,995 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्र में फैली फूलों की घाटी 31 अक्टूबर तक पर्यटकों के लिए खुली रहती है। यहां पर 500 से अधिक प्रजाति के फूल खिलते हैं। फूलों की घाटी जाने के लिए पहले गोविंदघाट से 14 किमी किमी दूर घांघरिया पहुंचना पड़ता है।
यह घाटी का बेस कैंप है और यहां से घाटी की दूरी महज 3.2 किमी है। हालांकि, यह रास्ता बेहद चुनौतीपूर्ण है। घाटी में रात को रुकना प्रतिबंधित है, इसलिए दोपहर दो बजे पर्यटकों को हर हाल में घांघरिया के लिए वापसी करनी पड़ती है।
शीतकाल के दौरान यहां जबरदस्त बर्फबारी होती है, इसलिए पैदल मार्ग बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे में हिमखंडों को काटकर रास्ता सुचारु करना आसान काम नहीं है। बीते 10 अप्रैल को नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क की टीम निरीक्षण के लिए फूलों की घाटी गई थी।
लौटने पर टीम ने बताया कि घाटी में घांघरिया से आगे द्वारीपुल व घूसा गदेरा समेत चार स्थानों पर हिमखंड पसरे हुए हैं। पैदल मार्ग पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है, इसलिए विभाग फिलहाल बर्फ पिघलने का इंतजार कर रहा है। मई शुरू होते ही टीम पैदल मार्ग से हिमखंड काटने का कार्य शुरू कर देगी।

दुर्लभ जीवों का प्राकृतिक आवास

फूलों की घाटी में हिमालयन पिका की तादात लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा हिम तेंदुआ, हिमालयन भालू, कस्तूरा, तेंदुआ, हिमालयन थार जैसे वन्य जीवों का प्राकृतिक आवास भी इस क्षेत्र को माना जाता है।

विभाग की टीम विश्व धरोहर फूलों की घाटी का निरीक्षण कर चुकी है। अभी पैदल मार्ग में हिमखंड पसरे हुए हैं, इसलिए मई से पैदल मार्ग को सुचारु करने की रणनीति बनाई गई है।

-तरुण एस, प्रभारी प्रभागीय वनाधिकारी, नंदा देवी राष्ट्रीय पार्क, जोशीमठ

छात्र-छात्राओं के लिए सिर्फ 100 रुपये शुल्क

फूलों की घाटी जाने के लिए भारतीय नागरिक के लिए 200 रुपये और विदेशी नागरिक के लिए 800 रुपये शुल्क निर्धारित है। भारतीय सीनियर सिटीजन व छात्र-छात्राओं को सिर्फ 100 रुपये शुल्क देना पड़ता है, जबकि 12 साल तक के बच्चों के लिए घाटी में प्रवेश निशुल्क है।

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