लखनऊ। 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा डॉ. भीमराव आंबेडकर जयंती के जरिये वंचितों को जोड़ने की कोशिश में जुट गई है। इसके माध्यम से पार्टी दलित वोट बैंक में सेंध लगाने के साथ ही आरक्षण समाप्त करने व संविधान बदलने के विपक्ष के नैरेटिव को भी तोड़ने की तैयारी में है।
यही कारण है कि भाजपा ने पहली बार 13 दिनों तक डॉ. आंबेडकर जयंती मनाने का निर्णय लिया है। दलित व अति पिछड़े युवाओं को साथ लाने के लिए पार्टी ने रविवार को मैराथन का भी आयोजन किया।

लोकसभा चुनाव में हुआ था नुकसान

वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के पीडीए फार्मूले ने भाजपा को बड़ा नुकसान पहुंचाया था। लोकसभा चुनाव में प्रदेश में पिछड़ने के बाद से ही भाजपा वंचितों और अति पिछड़ों को पार्टी से जोड़ने के नए तरीके अपना रही है।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह वंचितों व पिछड़ों के बीच पार्टी के विचारों को ले जाने और उनके मन से गलतफहमी दूर करने की कोशिश में जुटे हैं। बसपा को प्रदेश में कमजोर होता देख उसके परंपरागत वोट बैंक को अपने पाले में करना भाजपा को संभव लग रहा है।
पार्टी डॉ. आंबेडकर के नाम पर हर संभव कोशिश कर रही है कि वंचितों के और ज्यादा करीब आ सके। पार्टी ने जयंती से एक दिन पूर्व पूरे प्रदेश में डॉ. आंबेडकर के प्रतिमास्थलों पर स्वच्छता अभियान चलाया। जयंती की पूर्व संध्या पर प्रतिमा पर दीप प्रज्वलित किए।
आंबेडकर जयंती के अवसर पर भाजपा 15 से 25 अप्रैल तक दलित बस्तियों में जाकर कांग्रेस-सपा को आरक्षण और संविधान के मुद्दे पर कठघरे में खड़ा करेगी। इसके साथ ही मोदी-योगी सरकार की दलितों के लिए किए गए कार्यों को भी बताएगी।
भाजपा यह भी बताएगी कि वर्ष 1952 में डॉ. आंबेडकर को कांग्रेस ने ही हरवाया था। 1954 के उपचुनाव में डॉ. आंबेडकर के निजी सहायक उनके खिलाफ लड़ाया। उस समय प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने बाबा साहेब के खिलाफ प्रचार किया और उन्हें परास्त कराया था।

करीब 300 सीटों पर है दलितों का प्रभाव

प्रदेश की कुल 403 विधानसभा सीटों में से भले ही अनुसूचित जाति के लिए 84 व अनुसूचित जनजाति के लिए दो सीटें आरक्षित हैं किंतु 50 जिलों की करीब 300 सीटों पर दलित मतदाता प्रभावशाली भूमिका में हैं। प्रदेश के 20 जिले तो ऐसे हैं जहां 25 प्रतिशत से ज्यादा एससी-एसटी की आबादी है।
करीब 100 से अधिक ऐसी सीटें हैं, जहां पांच से 10 प्रतिशत एससी मतदाता जिधर वोट करते हैं, उसी पार्टी का पलड़ा भारी हो जाता है। ऐसे में भाजपा मिशन 2027 के लिए वंचित समाज के वोटबैंक में सेंधमारी में लग गई है।

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