धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक स्वरूप का गलत चित्रण नहीं होना चाहिए-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन

हमने अमेरिका में रहने वाले व् ओवरसीज बीजेपी से जुड़े श्री अजय अग्रवाल के साथ धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक स्वरूप का गलत चित्रण का अध्यन किया है। हमारे अध्यन में यह बात सामने आई है कि हिन्दू धर्म के धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक स्वरूप वाले व वेशभूषा धारियों के सड़कों पर नाचने की झांकी देखने को मिलती है, जबकि इस तरह का प्रदर्शन हिन्दू धर्म के देवी-देवताओं उनका अनादर करने जैसा है। हिन्दू धर्म के अनुसार देवी-देवताओं की मूर्ति भी भगवान की एक छवि है और भावनात्मक और धार्मिक मूल्य का प्रतिनिधित्व करती है।
भारत में हिन्दू धर्म के देवी-देवता करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक होते हैं, इस तरह अमर्यादित तरीके से सड़कों पर उन्हें प्रदर्शित करने से उनकी धार्मिक भावना आहत होती है।
हिंदू धर्म में पूजा पद्धतियाँ इसकी परंपराओं की तरह ही विविध हैं।हिंदू पौराणिक कथाओं ने अवतार की अवधारणा को पोषित किया है।अवतार की अवधारणा वैष्णव परंपरा में सबसे अधिक विकसित है, और हिंदू पौराणिक कथाओं में विष्णु ने कई अवतार लिए हैं, विशेष रूप से राम और कृष्ण की कथा विष्णु के अवतार के साथ जुड़ी हुई है।
हमें धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में प्रदर्शनी के माध्यम से यह दर्शाना चाहिए कि हिंदू धर्म एक धर्म के साथ ही जीवन जीने की एक पद्धति भी है। हिन्दू धर्म हमें सिखाता है कि एक मनुष्य का आचरण कैसा होना चाहिए, उसके परिवार, समाज, राष्ट्र और विश्व के लिए क्या कर्तव्य है, एक स्वस्थ जीवन हेतु कैसा आचरण हो, प्रकृति से जुड़ना और उसका सम्मान करना भी सिखाता है। आज हिन्दू धर्म के मानने वाले युवाओं को समझाना होगा कि हिंदू धर्म का ज्ञान केवल पूजा पाठ, व्रत तक ही सीमित नहीं है। और न ही पूजा पाठ का मुख्य उद्देश्य मनोकामना पूर्ति है।
यह भी सच है कि हिन्दू कुछ कुरीतियां रही, और जब अति हुई, तो वो समय के साथ समाप्त भी हो गई, क्योकि हिन्दू धर्म में परिवर्तन का विकल्प खुला रहता है,इसलिए इसमें परिवर्तन होता रहता है। इस विषय मे सबसे पहला और ज़रूरी कदम यही है कि अपनी अगली पीढ़ी तक हिंदू धर्म को पहुँचाये।
भारत में विदेशी इस्लामिक हमलावरों के शासन काल में जब धर्मान्तरण के सारे प्रयास विफल हो गए, तब विधर्मी हताशा में हिंदुओं को नीचा दिखाने के लिए, उनमें देवी देवताओं की पूजा के प्रति घृणा भरने के लिए हिन्दू देवी देवताओं को टारगेट करना शुरू कर दिया था, जो कुछ वामपंथियों द्वारा आज भी जारी है। कुछ वर्ष पहले भारत के बड़े चित्रकार एमएफ हुसैन ने अपनी प्रसिद्धि हासिल करने के लिए हिंदू देवी-देवताओं के नग्न चित्र बनाए थे और हिंदू भावनाओं को आहत किया था।
केरल से प्रकाशित The Week मैगजीन भगवान शंकर की आपत्तिजनक फोटो छापी है। यह तस्वीर हिंदुओं की भावनाओं को आहत करने वाली थी हालाकि शिकायत होने पर “द वीक” वैग्जीन ने माफी मांगते हुए लिखा था कि हमें गहरा खेद है कि हमने 24 जुलाई, 2022 के द वीक अंक में प्रख्यात लेखक बिबेक देबरॉय द्वारा लिखित ‘ए टंग ऑफ फायर’ शीर्षक से एक विद्वतापूर्ण लेख में भगवान शिव और देवी काली का एक अनुचित चित्रण प्रकाशित किया।
हमें धार्मिक या सामाजिक आयोजनों में देवी-देवताओं के प्रतीकात्मक स्वरूप का गलत चित्रण नहीं करना चाहिए और न ही फ़िल्मी गीतों की तर्ज पर धार्मिक गीतों को इन आयोजनों में बजाना चाहिए।

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