भारत में विदेशी इस्लामिक हमलावरों के शासन में वक्फ जमीनों का इतिहास बना था-अशोक बालियान,चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
भारत में विदेशी इस्लामिक हमलावरों का शासन रहा, जिससे वक्फ जमीनों का इतिहास बना था। भारत में वक्फ की शुरुआत इस्लामिक हमलावर द्वारा हिन्दुओं की जीती हुई संपत्ति से शुरू हुई थी। इसप्रकार वक्फ की जड़ें जिहाद में योगदान में से एक हैं। और वक्फ संपत्ति इस्लामिक हमलावरों की विजय का ही परिणाम है।
अशोक बालियान
मुग़ल शासन समाप्त होने के बाद भी वक्फ अवधारणा को समाप्त नहीं किया गया था, बल्कि इसको और अधिक अधिकार मिलते चले गए। भारत के बटवारे के समय वर्ष 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की सम्पत्ति को शत्रु सम्पत्ति के रूप में पाकिस्तान सरकार ने अपने अधिकार में ले लिया था। लेकिन भारत से पाकिस्तान जाने वाले अधिकतर मुस्लिमों ने यह सोचकर कि उनकी सम्पत्ति पर कोई काफिर काबिज न होने पाये, अपनी सम्पत्ति वक्फ के नाम कर दी थी।
देश में कांग्रेस सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए पाकिस्तान जाने वाले मुस्लिमों की नाम मात्र की शत्रु सम्पत्ति में भी उनके वारिसो की खोज कर उनके नाम करने के प्रयास किया था जैसे राजा महमूदाबाद सम्पत्ति विवाद। पाकिस्तान बनने पर राजा महमूदाबाद भारत छोड़कर वहां चले गए थे।
भारत में मोदी सरकार ने वक्फ संशोधन बिल 2025 को संसद में पास करा लिया है। लोकसभा में पेश किया गया इस वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 में वक्फ अधिनियम की धारा 40 को समाप्त किया गया है।यह धारा वक्फ बोर्ड और न्यायाधिकरण को किसी भी भूमि को वक्फ संपत्ति घोषित करने की अनुमति देती है।नए कानून के मुताबिक अब कोई भी संपत्ति बिना दस्तावेज के वक्फ की संपत्ति नहीं मानी जाएगी। सरकारी संपत्ति पर वक्फ के सभी दावे खारिज कर दिए जाएंगे। यह ऐतिहासिक कानून है, जिससे अनेक विसंगतियां दूर होंगी।
वक्फ संशोधन बिल 2025 का विपक्ष और मुस्लिम संगठन इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं। इस्लामी संगठन जमीयत उलेमा ए हिंद के चीफ मौलाना अरशद मदनी और महमूद मदनी भी इस संशोधन का विरोध कर रहे हैं, लेकिन विरोध करने वाले विपक्ष और मुस्लिम संगठनों ने यह नहीं बताया कि किस तरह यह वक्फ संशोधन बिल मुसलमानों के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है।
ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट के प्रमुख और असम के जमीयत उलेमा प्रमुख मौलाना बदरुद्दीन अजमल का कहना है कि नई संसद वक्फ बोर्ड की जमीन पर बनी है, और नई संसद भवन के आस-पास के इलाके, वसंत विहार से लेकर एयरपोर्ट तक सब कुछ वक्फ की संपत्ति पर बना हुआ है।
केंद्र की कांग्रेस सरकार द्वारा वर्ष 2013 में किये गए संशोधन के बाद वक्फ अधिनियम 1995, वक्फ बोर्ड को दान के नाम पर किसी भी संपत्ति या भवन को वक्फ संपत्ति घोषित करने का अधिकार देता था। जिसका गलत फायदा उठाया जा रहा था। इस अधिकार का उपयोग करते हुए, वक्फ बोर्ड ने संरक्षित स्मारकों को वक्फ संपत्ति घोषित करने के लिए अधिसूचनाएं जारी की हैं, जिसके कारण प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम 1958 के तहत दिए गए अधिकारों के साथ टकराव हुआ।
वक्फ सम्पत्ति व् कब्जे से जुड़ा जो बड़ा मामला बीते सालों में सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहा, वह तमिलनाडु प्रदेश के त्रिचि जिले के गांव में डेढ़ हजार हिन्दू आबादी से जुड़ा है, उसमें कुल सात-आठ घर मुस्लिमों के हैं और पड़ोस में ही एक भगवान शंकर जी का मंदिर है जो डेढ़ हजार साल पुराना है। वक्फ बोर्ड ने उस गांव की पूरी संपत्ति पर अपना दावा किया हुआ है और सबको खाली करने का नोटिस कलेक्टर के यहां से पहुंचा दिया गया था।
इसप्रकार भारत में विदेशी इस्लामिक हमलावरों के शासन में वक्फ जमीनों का इतिहास बना था और वक्फ संपत्ति इस्लामिक हमलावरों की विजय का ही परिणाम रहा है। ब्रिटिश सरकार ने यहाँ शासन करने के कारण मुग़ल शासन समाप्त होने के बाद भी वक्फ अवधारणा को पूरी तरह समाप्त नहीं किया गया था। हमारी राय में आम मुस्लिम को इस संशोधन से डरने की जरूरत नहीं है। इसका वही लोग विरोध कर रहे हैं, जिनके आलीशान घर वक्फ की जमीनों पर बने हैं।