लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की कुलपति और प्रसिद्ध हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. सोनिया नित्यानंद को पद्मश्री से सम्‍मान‍ित क‍िया गया है। डॉ. नित्यानंद को मेडिसिन के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए यह पुरस्कार दिया गया। उन्‍होंने ही SGPGI में वर्ष 1991 में प्रदेश का पहला बोनमैरो ट्रांसप्लांट सेंटर स्थापित किया था।

इतना ही नहीं, उन्होंने लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान और अब केजीएमयू में भी बोनमैरो ट्रांसप्लांट सेंटर की नींव रख दी है, जहां आने वाले समय में ब्लड कैंसर और प्लास्टिक एनीमिया जैसी गंभीर रोगों को उच्चस्तरीय इलाज मिल सकेगा। डॉ. सोनिया के पिता केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक और गर्भ निरोधक दवा सहेली के जनक डॉ. नित्यांनद को भी पद्मश्री दिया गया था।

प‍िता को बताया रोल मॉडल

डॉ. सोनिया नित्यानंद केजीएमयू में कुलपति का पदभार ग्रहण करने से पहले लोहिया संस्थान में निदेशक और एसजीपीजीआइ में हेमेटोलॉजी विभाग की प्रमुख के साथ मुख्य चिकित्सा अधीक्षक की जिम्मेदारी निभा चुकी हैं। दैनिक जागरण से बातचीत में उन्होंने कहा क‍ि मेरे करियर में अब तक की उपलब्धि का श्रेय अपने पिता को देना चाहूंगी। वह मेरे रोल माडल हैं।

उन्‍होंने मैंने केजीएमसी से एमबीबीएस और एमडी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद स्वीडन के कैरोलिंस्का इंस्टीट्यूट स्टाकहोम से इम्यूनोलॉजी में पीएचडी किया। अक्टूबर 1991 से नवंबर 1993 तक केजीएमसी के मेडिसिन विभाग में बतौर सहायक प्रोफेसर के रूप में करियर शुरू किया।

नवंबर 1993 में एसजीपीजीआइ एमएस संकाय सदस्य के रूप में चयनित हुईं। शुरुआत में इम्यूनोलॉजी और इसके बाद हेमेटोलॉजी विभाग की जिम्मेदारी संभाली।

41 साल की उम्र में बनीं विभागाध्यक्ष

डॉ. सोनिया नित्यानंद वर्ष 2003 में महज 41 साल की उम्र में एसजीपीजीआइ के हेमेटोलॉजी विभाग की अध्यक्ष बनीं। उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है, जिसमें जैव विज्ञान करियर पुरस्कार, भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की ओर से यंग वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. जेसी पटेल और बीसी मेहता पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा डॉ. एनएन गुप्ता स्वर्ण पदक, सर्वश्रेष्ठ मेडिकल छात्र के लिए चांसलर मेडल भी हासिल किया है।

प‍िता को द‍िया श्रेय

डॉ. सोनिया नित्यानंद ने बताया क‍ि मेरे और परिवार के लिए सबसे खास दिन है। इस उपलब्धि का श्रेय पापा को देना चाहूंगी। वह सब देख रहे हैं और बहुत खुश होंगे। उनके दिखाए रास्ते पर चल रही हूं। पापा के आशीर्वाद से अब तक का सफर यकीनन बहुत अच्छा रहा है। पद्मश्री के लिए एसजीपीजीआइ, लोहिया और केजीएमयू की टीम को भी बधाई देना चाहूंगी, जो मेरे लक्ष्य को पूरा करने में सहयोगी है।

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