संभल। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने शहर के ऐतिहासिक और पौराणिक स्थलों के सर्वे का काम दूसरे दिन भी जारी रखा। टीम ने मुहल्ला कोटपूर्वी स्थित प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर का निरीक्षण किया। मंदिर के गर्भगृह में स्थित श्री कल्कि भगवान की प्रतिमा की वीडियोग्राफी की। साथ ही मंदिर परिसर में एक प्राचीन कुएं का भी सर्वे किया।
एएसआई की टीम ने शनिवार को भी शहर के प्राचीन धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों का सर्वेक्षण जारी रखा। मुहल्ला कोटपूर्वी में स्थित प्राचीन श्री कल्कि विष्णु मंदिर में टीम पहुंची। मंदिर का गर्भगृह, जहां भगवान श्री कल्कि की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है। गर्भगृह के साथ ही श्री कल्कि भगवान की प्रतिमा की विस्तार से वीडियोग्राफी कराई। साथ ही प्रतिमा के शिल्प और संरचना का गहन निरीक्षण किया।

मंदिर परिसर में जांच की नहीं लगी किसी को भनक

मंदिर परिसर में पूर्व दिशा की ओर स्थित एक प्राचीन कुएं का भी सर्वे किया गया। कुएं की संरचना, गहराई और इसकी ऐतिहासिक महत्ता की जांच की गई। इसके अलावा, मंदिर में रखे पुराने नक्शे और दस्तावेजों को भी देखा गया। मालूम हो कि एएसआई की टीम ने शुक्रवार को भी खग्गू सराय क्षेत्र में प्राचीन मंदिर और कुएं का निरीक्षण किया था। इसके बाद पांच तीर्थ स्थलों और पौराणिक समय के 19 प्राचीन कूपों का सर्वे पूरा किया था। इस दौरान कई स्थानों से मिट्टी और पत्थरों के नमूने भी एकत्रित किए गए थे।

मंदिर में पूजा अर्चना को पहुंच रहे श्रद्धालु, मांग रहे मनौतियां

नखासा थाना क्षेत्र के खग्गू सराय स्थित प्राचीन मंदिर में दर्शन करने के लिए श्रद्धालु लगातार पहुंच रहे हैं। शिवलिंग पर जलाभिषेक करने के साथ ही प्रसाद आदि चढ़ावा चढ़ा रहे हैं। श्रद्धालु भगवान शिव की पूजा-अर्चना कर अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना कर रहे हैं। शाम को मंदिर में आरती के दौरान श्रद्धालुओं की काफी भीड़ देखी जा रही है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पुलिस बल तैनात है।

अधिकारियों ने बिजली चेकिंग के दौरान पाया था मंदिर

दरअसल, नखासा थाना क्षेत्र के मुहल्ला खग्गू सराय में बिजली चेकिंग अभियान के दौरान पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों को एक बंद मंदिर नुमा भवन मिला था। दरवाजे पर लगा ताला तोड़कर जब अंदर देखा तो सभी अंदर का नजारा देखकर दंग रह गए थे। भीतर हनुमान जी की प्रतिमा और शिव परिवार विराजमान थे, जो वर्षों से ताले में बंद थे और उनपर धूल जमीं थीं।

प्राचीन मंदिर मिलने की जानकारी जब लोगों को हुई तो वह मौके पर पहुंचने शुरू हो गए थे। इस दौरान कुछ हिंदुओं ने बताया कि वह पहले इस इलाके में रहा करते थे। जो 1978 के दंगे के बाद यहां से पलायन कर गए थे। उन्होंने बताया कि यह मंदिर भी 46 वर्षों से बंद पड़ा था। जो करीब 500 वर्षों से भी अधिक पुराना बताया जा रहा है।

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