मुजफ्फरनगर। नंगला मंदौड़ की पंचायत में भड़काऊ भाषण देने के मामले में पेश न होने पर पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा समेत आठ आरोपितों के खिलाफ कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किए हैं। इस मामले में पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान सहित कई भाजपा नेता कोर्ट में पेश हुए।
दूसरे मुकदमे में भी प्रदेश के राज्य मंत्री कपिलदेव अग्रवाल समेत 12 आरोपितों के कोर्ट में हाजिर नहीं होने पर गैर जमानती वारंट जारी किए गए हैं। कोर्ट ने सभी की तरफ से दिए गए हाजिरी माफी प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। इस मामले में सुनवाई के लिए 29 अक्टूबर की तिथि नियत की गई है।
जानसठ के कवाल गांव में 27 अगस्त 2013 को शाहनवाज और मलिकपुरा गांव निवासी सचिन व गौरव की हत्या के बाद 31 अगस्त को नंगला मंदौड़ में पंचायत हुई थी। इसके बाद जिले में सांप्रदायिक दंगा भड़क गया था। पुलिस ने पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान सहित 14 लोगों के खिलाफ भड़काऊ भाषण, निषेधाज्ञा उल्लंघन एवं 7 क्रिमिनल ला अमेंडमेंट एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था। एसआइटी ने अलग-अलग दो चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। मुकदमे की सुनवाई एमपी/एमएलए कोर्ट के न्यायाधीश देवेन्द्र फौजदार कर रहे हैं।
सरकार बनाम उमेश में इनके हुए वारंट
अधिवक्ता श्यामवीर सिंह ने बताया कि भडकाऊ भाषण व अन्य धाराओं में कोर्ट में पेश न होने के कारण कोर्ट ने पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र, रविन्द्र, कल्लू, योगेश, सचिन व मिंटू के गैर जमानती वारंट जारी किए हैं।
निजी परिवाद में इनके हुए गैर जमानती वारंट
निजी परिवाद मामले में पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा, पूर्व सांसद कुंवर भारतेंद्र, कपिल देव अग्रवाल राज्यमंत्री, पूर्व मंत्री एवं एमएलसी अशोक कटारिया, पूर्व विधायक अशोक कंसल, यति नरसिंहानंद, कल्लू, योगेश, मिंटू, शिवकुमार, सचिन व रविंद्र के कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी कर दिए है।
हाई कोर्ट : अतीक के साले जकी की गिरफ्तारी पर रोक
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मारे गए माफिया अतीक अहमद के साले जकी अहमद की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है और राज्य सरकार से जवाब मांगा है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता तथा न्यायमूर्ति नलिन कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने जकी अहमद की याचिका पर दिया है।
प्रयागराज के धूमनगंज थाने में करेली निवासी मो. आमिर ने जकी अहमद व अन्य लोगों पर 10 लाख रुपये रंगदारी मांगने व जान से मारने की धमकी देने का आरोप लगाते हुए प्राथमिकी दर्ज कराई है, इसे याचिका में चुनौती दी गई है।
याची के वकील अधिवक्ता मो. इरफान व शादाब अली ने कहा कि याची ने कोई अपराध नहीं किया है। उसे झूठा फंसाया गया है। जमीन की चौहद्दी तय करने को लेकर विवाद है,जो सिविल प्रकृति का है। जानबूझकर सिविल मामले को आपराधिक रंग दे दिया गया है। कोर्ट ने मामला विचारणीय माना।
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