देश में अधिकतर वक्फ बोर्डों पर भूमि माफिया,राजनेताओं या शांत रहकर वक्फ बोर्डों की सम्पत्ति को बेचने वाले लोगो का कब्जा है-अशोक बालियान, चेयरमैन,पीजेंट वेलफेयर एसोसिएशन
जब कोई व्यक्ति अल्लाह या इस्लाम के नाम कोई संपत्ति या पैसा दान देता है तो उसकी देखरेख वक्फ बोर्ड करता है। देश में अभी 32 स्टेट वक्फ बोर्ड हैं। एक सेंट्रल वक्फ बोर्ड भी है। देश में सबसे पहली बार 1954 में वक्फ एक्ट बना। वर्ष 1995 में एक नया वक्फ बोर्ड अधिनियम बना। इसके तहत हर राज्य/केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ बोर्ड बनाने की अनुमति दी गई। बाद में वर्ष 2013 में यूपीए सरकार ने वर्ष 1995 के मूल वक्फ एक्ट में बदलाव करके बोर्ड की शक्तियों में इजाफा किया था।
अब मोदी सरकार वक्फ बोर्ड संशोधन बिल लाने की तैयारी में है।अगर यह बिल आ गया, तो वक्फ बोर्ड पारदर्शिता आएगी। लेकिन वक्फ बोर्ड बिल को लेकर विपक्ष व् मुस्लिम नेताओं द्वारा मुस्लिन समाज को असत्य व् गलत बातें बताकर ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि भारतीय जनता पार्टी नीत केंद्र सरकार देश के मुसलमानों को परेशान करने के लिए यह बिल लेकर आ रही है।सरकार के खिलाफ मुसलमानों को भड़काने का बेस इस तरह तैयार किया जा रहा है, जिस तरह सीएए के खिलाफ मुसलमानों को भड़का दिया गया था, जबकि उस कानून का भारत के मुस्लिम समाज या मुस्लिम से कोई सम्बन्ध नहीं था।
वक्फ एक्ट 1995 का सेक्शन 3 (आर) के मुताबिक, अगर कोई संपत्ति, किसी भी उद्देश्य के लिए मुस्लिम कानून के मुताबिक पाक (पवित्र), मजहबी (धार्मिक) या (चेरिटेबल) परोपरकारी मान लिया जाए तो वह वक्फ की संपत्ति हो जाएगी। वक्फ एक्ट 1995 का आर्टिकल 40 कहता है कि यह जमीन किसकी है, यह वक्फ का सर्वेयर और वक्फ बोर्ड तय करेगा। बाद में वर्ष 2013 में संशोधन पेश किए गए, जिससे वक्फ को इससे संबंधित मामलों में असीमित और पूर्ण स्वायत्तता प्राप्त हुई।
वक्फ बोर्ड का फैसला आपके खिलाफ आया, तब भी आप कोर्ट नहीं जा सकते। तब आप वक्फ ट्राइब्यूनल में जा सकते हैं। इस ट्राइब्यूनल में प्रशासनिक अधिकारी होते हैं। उसमें गैर-मुस्लिम भी हो सकते हैं। वक्फ एक्ट का सेक्शन 85 कहता है कि ट्राइब्यूनल के फैसले को हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती नहीं दी जा सकती है। वर्ष 2022 में तमिलनाडु के वक्फ बोर्ड ने हिंदुओं के बसाए पूरे थिरुचेंदुरई गांव पर वक्फ होने का दावा ठोंक दिया था।
देश भर में 8.7 लाख से अधिक संपत्तियां, कुल मिलाकर लगभग 9.4 लाख एकड़, वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में हैं। प्रस्तावित संशोधनों के तहत, वक्फ बोर्ड के दावों का अनिवार्य रूप से वेरिफिकेशन किया जाएगा। ऐसा ही एक अनिवार्य वेरिफिकेशन उन संपत्तियों के लिए भी प्रस्तावित किया गया है, जिनके लिए वक्फ बोर्ड और व्यक्तिगत मालिकों ने दावे और जवाबी दावे किए हैं। उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कुछ समय पहले प्रस्तावित वक्फ नियमावली 2024 का प्रस्तुतीकरण देखा है, ताकि वक्फ संपत्तियों पर अवैध कब्जा या मुनाफा कमाने वालों पर अंकुश लगाया जा सके।
वक्फ संपत्ति का उपयोग सिर्फ उन धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए, जिनके लिए पूर्वजों ने दान किया था, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। वक्फ एक्ट कहता है कि 30 सालों से ज्यादा वक्फ की दौलत लीज पर नहीं ली जा सकती. लेकिन इसे फॉलो नहीं किया जा रहा है। साथ ही बदले में वक्फ को बहुत नॉमिनल किराया मिलता है, जबकि नियम से ये रेंट बाजार के हिसाब का होना चाहिए।मुस्लिम समाज में ताकतवर लोग हैं, जो वक्फ की प्रॉपर्टी को सालों से लीज पर लिए हुए हैं।
दिल्ली में ‘जमात ए उलेमा हिंद’ के पास वक्फ की काफी संपत्ति है, लेकिन इसका कोई फायदा न वक्फ बोर्ड को हो रहा है, न ही वंचित मुस्लिम समाज को हो रहा है, इसीलिए मोदी सरकार कानून में संशोधंन करना चाहती है।
यह बात सच है कि देश में अधिकतर वक्फ बोर्डों पर भूमि माफिया राजनेताओं या शांत रहकर वक्फ बोर्डों की सम्पत्ति को बेचने वाले लोगो का कब्जा है। हमारे अनेकों मुस्लिम साथियों ने हमसे व्यक्तिगत रूप से मिलकर कहा है कि अधिकतर वक्फ बोर्ड पर गलत लोगो का कब्जा है, लेकिन वे अपने मुस्लिम समाज के दबाव में मोदी सरकार द्वारा लाये जा रहे संशोधित विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
यह खबरें भी आ रही है कि एआईएमआईएम (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी के पास वक्फ की 3 हजार करोड़ से ज्यादा की प्रॉपर्टी है। उनके अलावा भी बहुत से लीडर और मजहबी संस्थाएं हैं, जिन्होंने वक्फ की संपत्ति लीज पर ले रखी है।और मामूली किराये के साथ ये प्रॉपर्टी सालों से उनके पास है, इसका फायदा जरूरतमंदों तक नहीं पहुंच रहा है।इस तरह की खबरों की वास्तविकता की जाँच होने चाहिए।यदि ये खबरें सच है तो मुस्लिम समाज के रहनुमा ही वक़्फ़ संपत्ति का लाभ ले रहे हैं।
एक न्यूज़ पेपर की खबर के अनुसार मुजफ्फरनगर में करोड़ों रुपयों की वक्फ संपत्ति पर अनाधिकृत कब्जे है। शासकीय गजट में 2289 वक्फ संपत्तियां, 1862 सुन्नी और 427 शिया वक्फ मुजफ्फरनगर में सबसे बड़ा वक्फ नवाब अजमत अली खां का माना जाता है। इसकी हजारों करोड़ की संपत्तियों पर प्रभावशाली लोगों ने कब्जा किया हुआ है।
जनपद मुज़फ्फरनगर में कुछ नेताओं के निवास या अन्य भवन वक्फ संपत्ति पर है।जनपद मुज़फ्फरनगर में वक्फ की संपत्ती जो किराए पर दी गई हैं, उसका किराया बाजार रेट से बहुत कम है,क्योकि पगड़ी के नाम पर किरायेदारों से मोटी धनराशी वक्फ से जुड़े लोग ले लेते है।
जनपद मुज़फ्फरनगर में गरीबों के लिए दान में दी गई अधिकतर जमीनों पर लोगों ने कब्जा कर मार्किट बना दिए।जनपद मुज़फ्फरनगर में वक्फ बोर्ड के पदाधिकारियों द्वारा नियमों का उल्लंघन करने और पद का दुरुपयोग करने के मामले तो सामने आते रहते हैं। इसप्रकार वक्फ बोर्ड की संपत्तियों में लम्बे समय से भ्रष्टाचार हुआ है और हो रहा है,जिसकी जांच होनी चाहिए।
मुस्लिम समाज को यह बात समझनी चाहिए कि केंद्र की मोदी सरकार का वक़्फ़ क़ानून में संशोधन का प्रस्तावित बिल मुस्लिम समाज के हित में हैं।